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प्रादेशिक

अवैध शराब के निर्माण, बिक्री एवं तस्करी की रोकथाम के लिए चला 15 दिनों का विशेष अभियान, 1,396 गिरफ्तार

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं आबकारी मंत्री राम नरेश अग्निहोत्री के आदेशों के अनुपालन में प्रदेश में अवैध शराब के निर्माण, बिक्री एवं तस्करी की रोकथाम हेतु 15 दिन का विशेष प्रवर्तन अभियान चलाकर दबिश एवं चेकिंग की कार्यवाही की गयी।

यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर0 भूसरेड्डी, ने बताया कि विशेष प्रवर्तन अभियान के दौरान आबकारी, पुलिस एवं प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की कार्यवाही की गयी है और लाइसेंसी दुकानों के स्टाक का सत्यापन किये जाने के साथ-साथ बार कोड एवं क्यू0आर0कोड का गहन परीक्षण किया गया है। अभियान के दौरान प्रदेश में 3720 मुकदमे दर्ज किये गये, जिसमें 1,33,168 ली. अवैध शराब बरामद की गयी तथा शराब बनाने हेतु तैयार किये गये 4,57,311 कि.ग्रा. लहन को मौके पर नष्ट किया गया। अवैध मदिरा के कार्य में संलिप्त 1396 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया तथा 31 वाहन जब्त किये गये।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि अभियान के दौरान विगत सप्ताह जनपद लखनऊ में दबिश के दौरान 300 ली0 डिनेचर्ड स्प्रिट के साथ 200 एम0एल0 के 500 तथा 500 एम0एल0 के 40 शीशियों में सेनेटाइजर एवं भारी मात्रा में लेबल बरामद किये गये। इस कार्यवाही में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर थाना निशातगंज में आबकारी अधिनियम तथा औषधि एवं सौन्दर्य प्रशाधन अधिनियम व आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया। जनपद चन्दौली में चार पेटियों में अवैध रूप से निर्मित देशी शराब, चार ड्रमों में 750 ली0 अवैध स्प्रिट, 30 ली0 अवैध रूप से निर्मित देशी शराब, व भारी मात्रा में रैपर, क्यू0आर0कोड, खाली शीशियॉं एवं अन्य उपकरण बरामद किये गये। इस कार्यवाही में एक टाटा मैजिक लोडर व एक हुण्डई इयान कार मौके से बरामद करते हुए 06 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम एवं आई0पी0सी0 तथा एम0बी0एक्ट के अन्तर्गत थाना अलीनगर, चन्दौली में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। जनपद मेरठ में भी प्रवर्तन कार्यवाही करते हुए एक बोलेरो पिकअप से रायल स्टैग विदेशी मदिरा ब्राण्ड के 50 अद्धे बरामद करते हुए 03 व्यक्तियों के विरूद्ध आबकारी एवं आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।

इसी प्रकार जनपद बुलन्दशहर में गुलावठी रोड पर स्थित एक फैक्ट्री से 130 कुन्तल संचित शीरा तथा एक टैंकर की बरामदगी की गयी तथा दो व्यक्तियों के विरूद्ध शीरा नियंत्रण व आबकारी अधिनियम एवं आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। जनपद गौतमबुद्धनगर में एक आयशर कैन्टर से 399 पेटियों में कुल 3549.24 ली0 विदेशी मदिरा बरामद करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार करते हुए उसके विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।

अपर मुख्य सचिव ने यह भी बताया गया अवैध शराब के निर्माण एवं बिक्री विरूद्ध छापेमारी की कार्यवाही निरन्तर जारी रहेगी तथा इन कार्यों में संलिप्त लोगों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जायेगा। इसके साथ ही आबकारी दुकानों पर नियमित चेकिंग की कार्यवाही भी कराई जा रही है तथा चेकिंग के दौरान किसी भी दुकान पर कोई अनियमितता पाये जाने पर दुकान के विरूद्ध् नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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