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अन्तर्राष्ट्रीय

200 देशों ने लिया कार्बन उर्त्सजन सीमित करने का संकल्प

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बॉन, 18 नवंबर (आईएएनएस)| दुनिया के तकरीबन 200 देशों ने शनिवार को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण लाने की वर्तमान योजनाओं पर अगले साल दोबारा समीक्षा शुरू करने का संकल्प लिया। यह संकल्प पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अमेरिका के अलग होने के फैसले के साये में लिया गया है।

सम्मेलन में भारत ने फिर जलवायु संबंधी कार्ययोजना के लिए विकसित देशों की ओर से जलवायु अनुकूलन व उत्सर्जन में कमी के लिए वित्तीय सहायता व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की बात दोहराई।

जलवायु संबंधी खतरों से सुरक्षा के लिए आगे बढ़कर जर्मनी ने 2020 तक 40 करोड़ से ज्यादा गरीब व असुरक्षित लोगों की सुरक्षा के प्रावधानों को सहायता प्रदान करने के लिए 125 अरब डॉलर अतिरिक्त देने का वादा किया। यह राशि जर्मनी की ओर से जलवायु अनुकूल निधि में फिर पांच करोड़ यूरो का योगदान देने के अतिरिक्त है।

बॉन में संपन्न हुए 23वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में सबने एक संदेश दिया कि पेरिस समझौते के उद्देश्यों की ओर बढ़ने और आखिरकार स्थायी विकास को लेकर 2030 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम करने की सख्त जरूरत है। यह बात जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा संधि यानी यूएनएफसीसीसी सचिवालय की ओर से शनिवार को कही गई।

दो सप्ताह चली वार्ता में 2015 के पेरिस समझौते की बहाली के मद्देनजर कई आवश्यक फैसले लेने थे, जिनमें जीवाश्म ईंधनों के दहन से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की कटौती करके वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने संबंधी दिशानिर्देशों को लागू करने की दिशा में सार्थक प्रगति भी शामिल था।

पर्यावरण से जुड़े समूहों ने आईएएनएस को बताया कि सम्मेलन में उत्सर्जन में कटौती व जलवायु अनुकूलन के लिए विकासशील देशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर बातचीत नहीं हो पाई।

यूएनएफसीसीसी प्रवक्ता ने बताया कि इस अवसर पर की गई प्रमुख घोषणाओं में सबसे गरीब व असुरक्षित लोगों, इस साल की विकट मौसमी दशाओं के कारण उनकी दुर्दशा की संभावनाओं को प्रकाश में लाया गया, की मदद के लिए निधि की घोषणा है।

भारत समेत विकासशील देशों के लिए 2020 के पहले की जलवायु कार्ययोजना को लेकर एक बड़ी उपलब्धि की बात यह थी कि दुनिया के विकसित देश बाद के दो वर्षो में भी इस विषय पर बातचीत को राजी थे।

भारत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि विकासशील देशों को वित्तीय मदद, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करने के प्रावधान संकटपूर्ण हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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