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इशरत केसः SC ने राहत के लिए हाईकोर्ट जाने के दिए निर्देश

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इशरत केस, सुप्रीम कोर्ट, राहत के लिए हाईकोर्ट जाने के निर्देश, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना डेविड हेडली के हालिया बयान, फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि जेल में बंद लश्कर-ए-तैयबा के सरगना डेविड हेडली के हालिया बयान के आधार पर इशरत जहां के वर्ष 2004 में हुए कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन, निलंबन और अन्य कार्रवाई को रद्द कर दिया जाए। इस मामले में वकील एमएल शर्मा की ओर से दलीलें शुरू किए जाने के कुछ ही मिनट बाद न्यायमूर्ति पीसी घोष और अमिताव रॉय की पीठ ने कहा, अनुच्छेद 32 का क्या उद्देश्य है। आप इसके तहत ऐसा मामला दायर नहीं कर सकते। यदि आप चाहें तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय जा सकते हैं। जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की तो पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह याचिका को उसके गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं कर रही।

पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में तत्कालीन डीआईजी डीजी वंजारा समेत इस मामले में प्रभावित गुजरात पुलिसकर्मियों के लिए रिहाई की खातिर अदालत का रूख करने का रास्ता खोलते हुए कहा, कोई भी संबंधित व्यक्ति उचित प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है। गुजरात पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को निरस्त करने की मांग करने वाली इस याचिका में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी हेडली के हालिया बयान का हवाला दिया गया है। मुंबई की एक अदालत के समक्ष दर्ज किए गए इस बयान में कहा गया था कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी थी।

मुठभेड़ में कथित भूमिका के चलते पूर्व पुलिस अधिकारी वंजारा समेत गुजरात पुलिसकर्मी मुंबई की एक अदालत में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर कथित तौर पर साजिश रचने वाले हेडली की ओर से दर्ज हालिया बयानों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि इस समय तथ्य निर्विवादित हैं कि गुजरात पुलिस ने इशरत जहां समेत जिन चार लोगों को मारा था, वे सभी आतंकी थे। याचिका में कहा गया, लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर 26/11 को मुंबई में हुए हमलों की साजिश रचने वाले डेविड हेडली के वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुंबई की विशेष अदालत के समक्ष दर्ज कराए गए बयान और न्यायिक कार्रवाई में यह कहा गया है कि जून 2004 में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां समेत जिन चार लोगों को मार डाला था, वे पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा नामक आतंकी संगठन से जुड़े थे और उन्हें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या का काम सौंपा गया था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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