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प्रादेशिक

सपा ने चढ़ाया सियासी पारा, भाजपा भी पीछे-पीछे

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सपा ने चढ़ाया सियासी पारा, भाजपा भी पीछे-पीछे

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सपा ने चढ़ाया सियासी पारा, भाजपा भी पीछे-पीछे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने विधानसभा चुनाव-2017 के लिए अपने 142 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर प्रदेश की सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। अब अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस दौड़ में शामिल होने के लिए अपनी रणनीति को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को छोड़कर कोई भी अन्य दल प्रत्याशी चयन तो दूर, अभी संगठन को भी दुरुस्त नहीं कर पाया है। वर्ष 2017 में उप्र की सत्ता पर काबिज होने का दावा कर रही भाजपा अब अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गई है। भाजपा ने एक अप्रैल को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई है। साथ ही अप्रैल में ही जिला व मंडल स्तर तक कार्यसमिति की बैठकें करने के निर्देश दिए गए हैं।

हाल ही में मथुरा में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में तय हुआ है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति के एक सप्ताह के भीतर प्रदेश कार्यसमिति, उसके एक सप्ताह बाद जिला व उसके एक सप्ताह बाद मंडल कार्यसमिति की बैठक की जाए।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के मुताबिक, होली के कारण प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तो तीन-चार दिन विलंब से हो रही है, लेकिन इसके बाद जिला व मंडल कार्यसमितियों की बैठकें होंगी।

प्रदेश कार्यसमिति की एक अप्रैल को प्रस्तावित बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देने के साथ केंद्र सरकार की उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने की रणनीति भी बनाई जाएगी।

इसके अलावा प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर भी कार्यसमिति में चर्चा होगी। भाजपा नेताओं का मानना है कि मौजूदा प्रदेश सरकार के खिलाफ वातावरण तो बना है, लेकिन भाजपा इसका लाभ कैसे उठाए, यह भी एक चुनौती है।

कार्यसमिति की बैठक में इस बाबत कार्यक्रम तय करने की भी तैयारी है। साथ ही संगठनात्मक चर्चा भी होगी। बैठक में प्रदेश प्रभारी ओम माथुर मौजूद रहेंगे। वह बाद में सभी महामंत्रियों, क्षेत्रीय प्रभारियों, क्षेत्रीय अध्यक्षों, क्षेत्रीय संगठन मंत्रियों व जिलाध्यक्षों के साथ अलग से भी बैठक करेंगे।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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