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उत्तराखंड: राष्ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, अभिषेक मनु सिंघवी

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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, अभिषेक मनु सिंघवी

देहरादून। उत्तराखंड में पैदा हुए सियासी संकट के बाद लगे राष्ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी गई है। इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी। उधर, उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत की याचिका पर मंगलवार को दूसरे दिन भी नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रही। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने हाईकोर्ट में सोमवार को याचिका दायर कर 27 मार्च को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने को चुनौती दी और उसे खत्म करने की भी गुजारिश की। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राकेश थपलियाल ने कहा कि इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी पक्ष रखेंगे। इस आधार पर कोर्ट ने उन्हें एक दिन का समय देते हुए मंगलवार को सुनवाई के लिए तिथि नियत की।

उत्तराखंड का सियासी संकट

सोमवार को न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। पूर्व सीएम हरीश रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 27 मार्च 2016 को राष्ट्रपति शासन लागू करने को चुनौती देते हुए उसे समाप्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से विश्वासमत हासिल करने के लिए पूर्व में निर्धारित तिथि 28 मार्च को बहुमत सिद्ध करने की याचना की गई। राज्यपाल तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से की गई संस्तुति को निरस्त करने की मांग गई। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन राजनैतिक आधारों पर नहीं लगाया जा सकता है, जबकि सत्ताधारी पार्टी का सदन में बहुमत है। कहा कि भाजपा कुछ असंतुष्टों की मदद को लेकर स्वयं सरकार बनाने का षड्यंत्र कर रही है।

राज्यपाल ने पहले 28 मार्च को सदन में बहुमत सिद्ध करने को कहा था, लेकिन बिना बहुमत साबित करने का अवसर दिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया तथा बिना सुनवाई व जांच के रातों रात अधिसूचना जारी कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया, जो गलत है। याचिका में कहा गया कि राष्ट्रपति शासन की घोषणा को निरस्त किया जाए और केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश का पूरा रिकार्ड तलब किया जाए तथा प्रदेश की सरकार को बहाल किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि संविधान की धारा 356 तभी लगाई जा सकती है, जब कोई इमरजेंसी आ जाए, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है।

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से पैरवी करने आए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से राष्ट्रपति शासन को राजनीति से प्रेरित बताया और निरस्त करने की मांग की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से झारखंड, उत्तराखंड आदि राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला दिया गया, जिसमें एसआर बाम्बे, रघुवर प्रसाद, जगदंबिका पाल सहित कई निर्णयों की कॉपी कोर्ट में पेश की। केंद्र सरकार के अधिवक्ता राकेश थपिल्याल की ओर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि यदिकोई परिस्थितियां पैदा होती हैं, तो केंद्र राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है। इसके अलावा उनके द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया। जिसके बाद उन्होंने कहा कि इस प्रकरण पर आगे की सुनवाई एडिशनल सॉलिसिटर जनरल करेंगे। इस आधार पर कोर्ट ने उन्हें कुछ घंटों का समय दिया। इस प्रकरण पर मंगलवार को सुबह से मामले की सुनवाई जारी थी। बता दें कि हाईकोर्ट में इस पर सोमवार को सुबह 11 बजे से सुनवाई हुई और शाम सवा तीन बजे तक जारी रही।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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