प्रादेशिक
बिहार : कांग्रेस विधायक शराब की पेशकश करते कैमरे में कैद
पटना| बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के एक विधायक को शराब पीने की पेशकश करते कैमरे में कैद कर लिया गया है। यह वीडियो सामने आने के बाद राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सियासी हमला बोला है। एक निजी चैनल पर प्रसारित एक वीडियो में बिहार के नरकटियागंज के कांग्रेस विधायक विनय वर्मा शराब मुहैया कराने का दावा कर रहे हैं। कथित तौर पर यह स्टिंग ऑपरेशन निजी चैनल की टीम ने पटना के एक होटल में किया है।
वीडियो में विधायक कह रहे हैं, “आइ विल ऑफर यू लिकर। मेरे पास है। कैसे फेंक दूं। वहां गांव में कई ब्रांड हैं।”
विधायक ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया है। स्टिंग के बारे में पूछे जाने पर विधायक ने कहा कि वह शुद्घ शाकाहारी हैं और शराब नहीं पीते हैं। कुछ दिनों पहले पटना में एक चैनल के लोग उनसे बिहार के टूरिज्म के बारे में बात करने आए थे।
इस दौरान उन्होंने शराब का मसला उठा कर कहा कि बिहार ड्राई स्टेट हो चुका है। बिहार आने वाले पर्यटक यदि शराब पीना चाहें तो क्या करें? अब अगर टीवी संवाददाता जवाब को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है, तो यह विधायक की गलती नहीं है।
मीडिया में यह मामला आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या आरोपी विधायक को गिरफ्तार किया जाएगा?
मोदी ने ट्वीट किया, “एक निजी चैनल के स्टिंग में कांग्रेस विधायक विनय वर्मा द्वारा प्रतिबंधित शराब की पेशकश करने के बाद क्या नीतीश कुमार विधायक को गिरफ्तार करवाएंगे?”
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार ने स्टिंग में फंसे विधायक को गिरफ्तार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि विधायक स्वयं शराब रखने की बात स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को अब क्या प्रमाण चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में शराब बनाना और उसकी ब्रिकी तथा सेवन प्रतिबंधित है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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