मुख्य समाचार
समाजवाद के वैचारिक स्तम्भ मधु लिमए: शिवपाल यादव
लखनऊ। भारतीय समाजवाद और समाजवादियों के मौलिक चिन्तन का लोहा पूरी दुनिया के विद्वान और राजनीतिक विश्लेषण मानते हैं। इसका सबसे अधिक श्रेय राममनोहर लोहिया जी के बाद मधु लिमए को ही जाता है जिन्होंने अपनी अद्भुत मेधा से समाजवाद की विविध अवधारणाओं का निरूपण किया। वे विचार और कर्म से सच्चे समाजवादी और लोहिया के अनुयायी थे। उनका जन्म 1 मई 1922 को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में रामचन्द्र महादेव लिमए के पुत्र के रूप में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई में गहरी अभिरुचि बाल्यावस्था से ही थी। फग्र्यूसन कालेज में अध्यन के दौरान वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी अध्ययन-गोष्ठियों से जुड़े और श्रीधर महादेव जोशी, नारायण गोरे, गंगाधर ओगले आदि सोशलिस्टों के साथ स्वतंत्रता व समाजवादी आन्दोलन को मजबूत करने में पूरी प्रतिबद्धता और मनोयोग से लग गए।
लिमए ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 1939 में राममनोहर लोहिया पुणे आए। मधु जी उस समय कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की पुणे इकाई के महामंत्री थे। लोहिया ने लिमए की कत्र्तयनिष्ठा और बौद्धिक क्षमता को देखते हुए स्वतंत्रता व समाजवादी आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में आने की सलाह दी। लिमए ने अपने आदर्श व गुरु की बात मानी, नौकरी व अध्ययन की संभावानाओं को छोड़कर समाजवाद के कंटकाकीर्ण पथ के पथिक बन गए। उन्हें दशहरा के दिन 1940 में युद्ध विरोधी भाषण और मजदूरों व किसानों को संगठित करने के कारण एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा दी गयी। कारावास की प्रताड़ना से उनके इरादे और मजबूत हुए। जेल से रिहा होने के बाद वे देश को रिहा कराने के अभियान में जुट गए। उन्होंने 1942 में कांग्रेस मुबंई अधिवेशन में भाग लिया। ‘‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’’ आन्दोलन के दौरान वे लोहिया की भाँति भूमिगत हो गए। ‘‘क्रान्तिकारी’’ पत्र निकालकर लोगों को जगाते और वैचारिक ज्योति जलाते रहे।
लगभग 13 महीने ब्रिटानिया पुलिस छकाने के बाद वे सितम्बर 1943 में गिरफ्तार हुए और लगभग दो वर्ष बाद 14 जुलाई 1945 को रिहा हुए। उन्होंने 1947 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का इतिहास लिखा जो समाजवादी आन्दोलन की अनमोल धरोहर है। सोशलिस्ट इंटरनेशनल के एटवर्थ (बेल्जियम) सम्मेलन में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे 1949 में पटना, 1951 में मद्रास तथा 1952 में पंचमढ़ी सम्मेलनों में सोशलिस्ट पार्टी के संयुक्त मंत्री निर्वाचित हुए। जनवरी 1953 में उनहोंने एशिया सोशलिस्ट ब्यूरो का कार्यभार संभाला। उन्होंने 1955 में गोवा मुक्ति संग्राम की अगुवाई की। उन्हें 12 वर्ष की सजा हुई। गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश था। अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के कारण पुर्तगाल को उन्हें 12 फरवरी 1957 को छोड़ना पड़ा।
उन्होंने मजदूरों को उनकी ताकत का एहसास कराया। जार्ज फर्नाण्डीज के अनुसार कि मजदूरों के मामले में मधुजी का योगदान संगठनात्मक और वैचारिक दोनों था। वे भारतीय श्रमिक संघों एवं आन्दोलन के आधार स्तम्भ थे उन्हें 1958 में सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। वे मुंगेर (बिहार) से जीतकर पहली बार लोकसभा के सदस्य बने। उन्होंने कई घोटालों का पर्दाफास किया। लोहिया-लिमए की जोड़ी ने मदांध सत्ता पर काफी अंकुश लगाया। पहली बार लोगों को लगा की कांग्रेस हार सकती है। वे 1967 संसोपा संसदीय दल के नेता बने। बांका से 1973 में तीसरी और 1977 में चैथी बार लोकसभा बने। चैधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी लेकिन स्वयं मंत्री नहीं बने। सर्वविदित है कि श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा पंाचवी लोकसभा का कार्यकाल जैसे ही बढ़ाया गया उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
उनकी सादगी, विद्वता और सिद्धान्तों के प्रति समर्पण की जितनी प्रशंसा की जाय कम है। अस्सी के दशक के बाद वे चुनावी राजनीति से हटकर अध्ययन व रचनात्मक कार्यो में अधिक रुचि लेने लगे। 8 जनवरी 1995 को वे महाप्रयाण कर गए। उन्होंने 60 से अधिक पुस्तकें हिन्दी, अंग्रेजी व मराठी में लिखी। ये पुस्तकें भारतीय समाजवादी आन्दोलन विचारधारा की अनुपम थाती हंै। उन्होंने समाजवाद की वैचारिक ताकत को बढ़ाया। वे लोहिया जी और नेताजी मुलायम सिंह यादव की पीढ़ी के सेतु थे। लोहिया जी के साथ और उनके बाद भी लिमए ने समाजवाद की चमक को धुंधला नहीं पड़ने दिया। अर्थ, वित्त, वैदेशिक, सामरिक समेत सभी संवेदनशील मुद्दों पर उन्होंने निर्भीक व मौलिक चिन्तन दिया।
मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे उनकी सभा कराने और उनका भाषण करीब से सुनने का अवसर मिला है। मेरे लिए खुशी और गर्व का अवसर था जब बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर पर उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक के नेपाली संस्करण विमोचन मेरे हाथों करवाया गया। लिमए अन्य देश के समाजवादियों और भारतीय समाजवादियों के मध्य संवाद, साझा सहयोग और साहित्य विनिमय हेतु प्रयासरत रहे। उन्होंने यूरोप, एशिया के अन्य देशों व अमरीका के सोशलिस्टों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर दिया था। उनके जाने के बाद यह कार्य अधूरा रह गया। इधर हम लोगों सोशलिस्ट काउन्सिल के माध्यम से रूका हुआ संवाद प्रारम्भ किया है। लंका, मारीशस, ट्यूनीशिया, भूटान, इंग्लैंड, दक्षिण-पूर्व एशिया के समाजवादी दलों से संवाद जारी है। इसके पीछे लिमए जी की ही प्रेरणा है। मुझे लंका की समाजवादी पार्टी के महासचिव प्रो0 तिस्सा विर्तना ने बताया कि लंका में समाजवादी पार्टी की स्थापना व विस्तार में लिमए जी का काफी योगदान रहा है। लोहिया-लिमए का स्वप्न अभी भी अधूरा है, इसे पूरा करने की जिम्मेदारी नई पीढ़ी के समाजवादी साथियों की है। मैं जनेश्वर जी के कथन को प्रसंगवश दोहराना चाहूँगा ‘‘जिसने लोहिया व लिमए को नहीं पढ़ा, वो समाजवादी नहीं हो सकता।’’
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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।
उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा
प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।
विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान
योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।
समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा
पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।
खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।
बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति
चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।
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