उत्तराखंड
जलजनित रोगों पर अंकुश लगाने के आदेश
देहरादून। राज्यपाल डा. केके पाल ने गरमियों में बढ़ती गर्मी में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति तथा डायरिया जैसे जल-जनित रोगों की रोकथाम के लिए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य सहित सभी जिलाधिकारियों को पूर्व में दिये गये निर्देशों के क्रम में आज पुनः हिदायतें दी है। बढ़ती गरमी में जलजनित रोगों के बढ़ने की आशंका के दृष्टिगत इन पर प्रभावी रोकथाम तथा निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से उत्पन्न खतरों पर नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम किये जाएं साथ ही स्वच्छता सम्बन्धी जागरूकता अभियान भी जारी रखा जाये। डायरिया और डिहाइड्रेशन जैसी स्थितियों से निपटने के लिए प्रत्येक चिकित्सालय में पर्याप्त मात्रा में जरूरी दवाईयों तथा ओ.आर.एस. (ओरल रिहाइड्रेसन सिरप) की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
राज्यपाल ने जिलाधिकारियों से मानीटरिंग के लिए कहा
राज्यपाल ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा को विशेष रूप से निर्देशित किया है कि इलाज के लिए हल्द्वानी लाये गये डायरिया के मरीजों की देखभाल में कोई कमी न रहे। उन्होंने 9 मई से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा रूट पर भी एण्टी-डायरिया प्रिकाॅसनरी मेजर्स अपनाये जाने के निर्देश दिये हैं। राज्यपाल ने देहरादून जनपद के कालसी व चकराता क्षेत्रों तथा पिथौरागढ़ जनपद के कुछ शहरों में पेयजल की किल्लत की खबरों का गम्भीर संज्ञान लेते हुए शासन के उच्चाधिकारियों, जल संस्थान व सम्बन्धित जिलाधिकारियों को विशेष रूप से हिदायत दी है कि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर की जाये।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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