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आध्यात्म

केवल भक्ति के द्वारा ही श्रीकृष्‍ण की प्राप्ति होगी

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kripalu ji maharaj

उन श्रीकृष्‍ण को प्राप्‍त करने के हेतु साधनों का भी ज्ञान प्राप्‍त करना होगा। और वह ज्ञान यही होगा कि केवल भक्ति के द्वारा ही श्रीकृष्‍ण की प्राप्ति होगी। अन्‍य कोई उपाय नहीं है। अपने गुरु द्वारा भक्ति का भी पूर्ण ज्ञान प्राप्‍त करना होगा। गुरु से यही ज्ञान मिलेगा कि श्रीकृष्‍ण भक्ति में कोई भी नियम नहीं है। सभी जीव अधिकारी हैं। यद्यपि श्रद्धा की शर्त बताई गई है। यथा-

आदौ श्रद्धा ततः साधुसंगोऽथ भजनक्रिया।

ततोऽनर्थनिवृत्तिः स्‍यात्‍ततो निष्‍ठा रुचिस्‍ततः।।

(भ.र.सि.)

किन्‍तु भागवत में इसकी भी आवश्‍यकता नहीं बताई गई। यथा-

सतां प्रसंगान्‍मम वीर्यसंविदो भवन्ति हृत्‍कर्णरसायनाः कथाः।

तज्‍जोषणादाश्र्वपवर्गवर्त्‍मनि श्रद्धा रतिर्भक्तिरनुक्रमिष्‍यति।।

अर्थात् गुरु की शरणागति में रहकर उन्‍हीं की सेवा करते हुये निरंतर सत्‍संग किया जाय, तो श्रद्धा भी स्‍वयं उत्‍पन्‍ न हो जायगी। फिर श्रीकृष्‍ण में अनुराग भी स्‍वयं होने लगेगा। फिर उसी अनुराग की मात्रा से ही स्‍वयं वैराग्‍य भी होगा।

सारांश यह कि प्रथम गुरु की शरणागति। फिर श्रीकृष्‍ण की नवधा भक्ति रूपी साधना। फिर संसार से वैराग्‍य। यही क्रम बढ़ते-बढ़ते जब भक्ति परिपूर्ण हो जायगी तो संसार से पूर्ण सहज वैराग्‍य स्‍वयं हो जायगा। इतना ही नहीं अन्‍य ज्ञानादि सब कुछ अनचाहे ही मिल जायगा। यहाँ तक कि सभी प्राप्‍तव्‍य पुरुषार्थों का स्‍वामी श्रीकृष्‍ण भी उस भक्‍त के आधीन हो जायगा। फिर जीव कृतकृत्‍य हो जायगा।

अतः उपर्युक्‍त क्रम से ही लक्ष्‍य की प्राप्ति के हेतु प्रयत्‍न करना चाहिये। शेष सब गुरु दे देगा।

राधे राधे राधे राधे राधे राधे

जग सों विमुख होय जब, साँचो सद् गुरु पाय।

करत सतत सतसंग तब, हरि सनमुख ह्वै जाय।।13।।

भावार्थ- वास्‍तविक गुरु के निरन्‍तर सत्‍संग से ही जीव संसार से विमुख होकर श्रीकृष्‍ण भक्ति करेगा।

व्‍याख्‍या- विश्‍व में समस्‍त जीव एकमात्र आनन्‍द ही चाहते हैं। क्‍योंकि जीवमात्र, श्रीकृष्‍ण रूप आनन्‍दसिन्‍धु के अंश हैं। किंतु कुछ जीव तो अज्ञान के कारण संसार में ही आनन्‍द की प्राप्ति के हेतु सतत प्रयत्‍न कर रहे हैं। कुछ जीव जो संसार से विमुख हो गये हैं, वे भी अज्ञानी गुरु के संग के कारण ठीक-ठीक प्रयत्‍न नहीं करते। अतः इन दोनों को ही लक्ष्‍य प्राप्ति नहीं हो रही है। अतः यदि वास्‍तविक गुरु मिल जाय एवं उसके प्रति हमारा विश्‍ वास भी दढ़ हो जाय तभी उसकी बताई हुई साधना से लक्ष्‍य प्राप्‍त हो सकता है।

वस्‍तुतः हमारी बुद्धि संशययुक्‍त है। अतः अनन्‍त बार भगवान् के अवतार एवं सिद्ध संतों के मिलने पर भी हमने उन पर विश्‍ वास नहीं किया। और जहाँ विश्‍ वास किया, वे सब मायिक अज्ञानी थे। अतः हम 84 लाख योनियों में भटकते रहे। हरि हरिजन के प्रति नामापराध और कमाते रहे। पारस भी सही हो एवं लोहा भी सही हो, तभी स्‍पर्श से सोना बनेगा। वैसे ही गुरु भी सही हो एवं उनके प्रति विश्‍ वास भी सही हो हो तभी लक्ष्‍य की प्राप्ति हो सकती है।

अस्‍तु– यदि कभी किसी जन्‍म में ऐसा संयोग बन जाय। ‘सद् गुरु वैद्य वचन विश्‍ वासा।, और हम उस गुरु के शरणागत होकर उसकी बताई हुई साधना करें तो संसार से विमुख होना अथवा श्रीकृष्‍ण के सन्‍मुख होना रूपी समस्‍या हल हो जाय। प्रायः हमारी विरक्ति विपरीत होती है। अर्थात् संसार के नष्‍ट होने पर हम संसार से विमुख होते रहते हैं, अतः पुनः जब संसार मिल जाता है, तब हम उस में अनुरक्‍त हो जाते हैं। यह तो उलटा वैराग्‍य हुआ।

यह सदा ध्‍यान रखना है कि संसार से विमुखता अथवा श्रीकृष्‍ण की सन्‍मुखता केवल मन को ही करनी है। संसार से भाग कर संन्‍यासी बनने का अभिप्राय नहीं है। संसार में रह कर, संसार से विमुख होना विमुखता है। अतः सर्वश्रेष्‍ठ गुरु का लक्षण भागवत में बताया है। यथा-

गृहीत्‍वापीन्द्रियैरर्थान् यो न द्वेष्टि न हृष्‍यति।

विष्‍णोर्मायामिदं पश्‍यन् स वै भागवतोत्‍तमः।।

(भाग. 11-2-48)

अर्थात् सर्वोत्‍तम भक्‍त वही है जो संसार में रहकर, संसार के विषयों का सेवन करते हुये भी मन को श्रीकृष्‍ण में रखे। न तो कहीं द्वेष करे, न राग करे। संसार को अपने प्रभु का खेल माने। तथा संसार में सर्वत्र अपने शरण्‍य को ही देखे। यही कर्मयोग है।

राधे राधे राधे राधे राधे राधे

उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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