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मनोरंजन

‘सनराइज’, ‘पाच्र्ड’ की पटकथा ऑस्कर लाइब्रेरी में संग्रहित

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पाच्र्ड

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पाच्र्डनई दिल्ली| आदिल हुसैन अभिनीत फिल्मों- ‘सनराइज’ और ‘पाच्र्ड’ की पटकथा को एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंट साइंसेज की लाइब्रेरी में संग्रहित किया गया है। दिल्ली के रहने वाले अभिनेता ने शुक्रवार को ट्वीट किया, “दो फिल्मों जिनका मैं हिस्सा रहा हूं, ‘सनराइज’ और ‘पाच्र्ड’ की पटकथा को ऑस्कर लाइब्रेरी में संग्रहित किया गया है।”

उन्होंने मार्गरेट हैरिक लाइब्रेरी ऑफ द एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज से प्राप्त पत्र को भी साझा किया। मार्गरेट हैरी लाइब्रेरी कला अनुसंधान व मोशन पिक्चर के इतिहास और उसकी कला तथा उद्योग के रूप में विकास के प्रति समर्पित है। साल 1928 में स्थापित यह लाइब्रेरी अब बेवर्ली हिल्स में है। इसका इस्तेमाल सालभर विद्यार्थियों, विद्वानों, इतिहासकारों और फिल्म उद्योग से जुड़े पेशेवर लोगों द्वारा किया जाता है।

‘सनराइज’ को पार्थो सेन गुप्ता ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में एक दुखी पिता इंस्पेक्टर जोशी की कहानी को दिखाया गया है, जो अपनी बेटी अरुणा की तलाश में हैं। अरुणा का छह साल की उम्र में अपहरण हो जाता है। फिल्म ‘पाच्र्ड’ के निर्माता अजय देवगन का कहना है कि लीना यादव द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दहेज प्रथा, शारीरिक हिंसा, जबरन विवाह, दुष्कर्म और महिलाओं के प्रति मानसिक क्रूरता जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।

मनोरंजन

आखिर लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की थी शादी, खुद इंटरव्यू में किया था खुलासा

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नई दिल्ली। सुरों की मल्लिका, भारत रत्न से सम्मानित स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है। भले ही वो आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने गानों की वजह से अमर हैं। 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में जन्मीं लता मंगेशकर ने जिंदगी अकेले गुजारी। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता ने शादी नहीं की, ऐसा उन्होंने क्यों किया, इसका खुलासा उन्होंने खुद किया था।

लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज का जादू दुनियाभर में बिखेरा और भारत की पहचान बढ़ाई। कोमल और दयालु हृदय वालीं लता दी ने लेकिन शादी क्यों नहीं की, ये सवाल लोगों के मन में सालों तक रहा। हालांकि इस सवाल का जवाब उन्होंने खुद दिया। साल 2011 में लता दी ने इस बात का खुलासा अपने जन्मदिन के दिन किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सब कुछ भगवान की इच्छा के अनुसार होता है। जीवन में जो भी होता है, वह अच्छे के लिए होता है और जो नहीं होता, वह भी अच्छे के लिए ही होता है।

इंटरव्यू में जब उनसे सवाल किया गया कि क्या कभी जीवन में अकेलापन महसूस होता है, खालीपन अखरता है… तब लता मंगेशकर कहा था कि मेरे सारे दोस्त चले गए। नरगिस और मीना कुमार मेरी करीबी दोस्त थीं। हम उनके निधन तक रेगुलर तौर पर टच में रहते थे। एक अन्य दोस्त मेरे देव आनंद भी रहे, जिनके संपर्क में लगातार रही। दोस्तों के जाने के बाद जीवन में खालीपन महसूस होता था। लता मंगेशकर ने एक अन्य इंटरव्यू में बताया था कि घर में वह सबसे बड़ी थीं, इसलिए उन पर जिम्मेदारियों भी कई थीं। ऐसे में कई बार शादी का ख्याल आता भी था तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी।

 

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