प्रादेशिक
मेरठ : कर्ज में डूबे परिवार के 5 सदस्यों ने की खुदकुशी
मेरठ। उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ के थाना टीपीनगर क्षेत्र के रघुकुलविहार कालोनी के पास गुप्ता कोलोनी में एक ही परिवार के पांच लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। एक साथ पांच लोगों की मौत से हडक़ंप मच गया। आईजी व एसएसपी मेरठ ने स्वयं मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली।
मौके से पुलिस को चार पन्ने का अंग्रेजी में लिखा सुसाइड नोट मिला, जिसमें इस सामूहिक आत्महत्या का कारण कर्ज का बोझ होना बताया गया। पुलिस के मुताबिक, थाना टीपीनगर क्षेत्र के रघुकुलविहार कालोनी के पास गुप्ता कालोनी में रहने वाले मोहन अरोड़ा (70) और उनका बेटा विनीत अरोड़ा (40) स्पेयर पार्टस का कारोबार करते हैं। रोज की तरह जब परिवार सुबह नहीं दिखा तो आसपास के लोगों ने घंटी बजाना शुरू किया। इसके बाद भी कोई हरकत न होने पर झांककर देखा तो अंदर कमरे में मोहन अरोड़ा बेड पर गिरे पड़े थे।
अनहोनी की आंशका देख लोगों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो मोहन अरोड़ा मृत पड़े थे। अंदर जाकर देखा जाल से व्यापारी विनीत अरोड़ा, उसकी पत्नी पूजा अरोड़ा (38), मां कृष्णा अरोड़ा (65 )और विनीत का 13 साल का बेटा अभिषेक झूल रहे थे।
इन सभी ने फांसी पर लटकने से पहले अपने हाथ की नस भी काटी थी। घर में फर्श पर चारों ओर खून फैला पड़ा है। पुलिस ने शवों को उतारा और कार्यवाही में जुट गई। आईजी के बाद एसएसपी जे रविंद्र गौड़ भी मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने शवों के पास अंग्रेजी में लिखा चार पन्ने का सुसाइड नोट बरामद किया। सुसाइड नोट में परिवार के सदस्यों ने देनदारी व लेनदारी समेत सभी जिंदगी के पहलुओं के बारे में लिखा है। पूरे परिवार ने आत्महत्या करने से पहले घर में हवन-पूजन किया था।
आईजी अजय आनंद ने बताया कि मामला सामूहिक आत्महत्या से जुड़ा है। वह भी मौत का कारण कर्जा होना बता रहे हैं। फिलहाल, पुलिस गहनता से मामले की जांच में जुट गई है। घटना के बाद पूरी कालोनी सदमे में है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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