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प्रादेशिक

बंगाल में ‘भारत बंद’ से उद्योगों पर असर नहीं

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नोटबंदी, भारत बंद, बंगाल, कोलकाता

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नोटबंदी, भारत बंद, बंगाल, कोलकाता

कोलकाता  | नोटबंदी के खिलाफ वाम दलों द्वारा बुलाए गए ‘भारत बंद’ का पश्चिम बंगाल में औद्योगिक एवं उत्पादन गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा है। उद्योग से जुड़े लोगों ने यह बात कही। उन्होंने कहा, “जूट और चाय जैसे कृषि आधारित उद्योग से लेकर कोयला खदान और छोटी उत्पादन इकाइयों में कर्मचारियों की उपस्थिति सामान्य रही और उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा।”

हड़ताल का विरोध करते हुए छोटे एवं मध्यम स्तर के उत्पादकों ने कहा कि नोटबंदी के दो सप्ताह बाद स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होने लगी थीं, लेकिन इस हड़ताल से तो इसमें और देरी होगी।

फेडरेशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विश्वनाथ भट्टाचार्य ने कहा, “हम इस हड़ताल को अच्छा नहीं मानते। छोटे उद्योग खासकर उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादक पहले से ही नोटबंदी के कारण बिक्री में आई कमी से जूझ रहे हैं। लेकिन हम इस फैसले को दीर्घकालिक तौर पर सकारात्मक कदम मानकर चल रहे थे। लेकिन इस हड़ताल से तो कोई मदद नहीं मिलने वाली।”

भट्टाचार्य ने कहा, “उत्पादन कार्य में कोई बाधा नहीं आई और कर्मचारियों की उपस्थिति लगभग 100 फीसदी दर्ज की गई। हमें तैयार माल भेजने और कच्चा माल लाने में परिवहन की भी कोई समस्या नहीं हुई।”

बंगाल के उत्तरी पर्वतीय इलाकों में चाय के बागान भी पूर्ववत खुले रहे और कहीं से कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं आई है।

भारतीय चाय संघ के महासचिव अरिजीत राहा ने आईएएनएस से कहा, “चाय बागानों पर इस हड़ताल का कोई असर नहीं रहा। फैक्ट्रियों में भी चाय का उत्पादन सामान्य रहा। कामगारों की उपस्थिति भी सामान्य ही रही।”

इसी तरह राज्य के 90 जूट मिलों में भी कामकाज पूर्ववत रहा।

भारतीय जूट मिल संघ के पूर्व चेयरमैन संजय कजारिया ने आईएएनएस से कहा, “हड़ताल से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। नोटबंदी के कारण कच्चे जूट की आवक प्रभावित हुई है लेकिन कर्मचारियों का वेतन पहले ही बैंकों में जमा करवाया जा चुका है। नोटबंदी का भी असर धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है और हड़ताल करने का कोई मतलब नहीं था।”

 

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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