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प्रादेशिक

सीएसआईआर–आईआईटीआर में मनाया गया राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

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लखनऊ। लखनऊ स्थ्ति सीएसआईआर–आईआईटीआर द्वारा राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन संस्‍थान परिसर में किया गया। कार्यक्रम को बतौर मुख्‍य अतिथि संबोधित करते हुए पद्मश्री चेवांग नोर्फेल जल की महत्‍ता पर प्रकाश डाला।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह

जल की आवश्‍यकता को बताते हुए उन्‍होंने कहा कि समस्या के समाधान करने हेतु कृत्रिम हिमनद बनाने की जरूरत है। नोर्फेल ने इसके लिए स्‍वयं अथक प्रयास किया। एक ऐसे क्षेत्र में जहां किसान अपने 80% कृषि जरूरतों के लिए हिमनदों के जल पर निर्भर हैं, कृत्रिम हिमनद उनके लिए एक वरदान हैं।

नोर्फेल जो लद्दाख के “आइस मैन” के नाम से  लोकप्रिय हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य में ग्रामीण विकास विभाग से सेवानिवृत्ति के बाद राज्य के लेह-लद्दाख क्षेत्र में पानी की भारी कमी को समाप्‍त करने का कार्य स्वयं अपने कंधों पर ले लिया।

इससे पहले सभा का स्वागत करते हुए वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ केसी खुल्बे ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह की उत्पत्ति का वर्णन करते हुए बताया कि यह दिवस सर सी वी रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन

अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर आलोक धवन, निदेशक, सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार में विश्वास रखने और उसी को पूरा करने की दिशा में काम करने पर बल दिया और बताया कि यह सिद्धान्त पद्म चेवांग नोर्फेल द्वारा बहुत ही अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया गया है।

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर – आईआईटीआर को इस विज्ञान दिवस के अवसर पर  नोर्फेल की मेजबानी करने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह दिवस संस्थान में एक खुले दिवस के रूप में मनाया गया, जिस दिन आम नागरिकों के लिए संस्थान के द्वार अत्याधुनिक विज्ञान अनुभव करने के लिए खुले रहे।

इस अवसर पर संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और सेवाओं की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। शहर आधारित कॉलेजों/ विश्वविद्यालयों के 200 से अधिक स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों को संस्थान की प्रयोगशालाओं का दौरा करने और वैज्ञानिक कर्मचारियों के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया।

डॉ डी कार चौधरी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह समिति ने वक्ता का परिचय दिया और डॉ एन मानिकम, समिति के संयोजक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

 

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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