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ऑफ़बीट

खुद से बातें करते हैं तो आप अपने काम में फोकस्ड हैं

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फोकस्ड, रिसर्च, कामकाज, काम

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वाशिंगटन। काम करते वक्त या कोई खेल खेलते वक्त अगर कोई खुद से बात करना है तो आमतौर पर हम इसे सामान्य नहीं मानते। लेकिन हाल ही हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि जो लोग कामकाज के वक्त खुद से बातें करते हैं, वह चुप होकर काम करने वाले लोगों की तुलना में अपने काम पर ज्यादा अच्छे तरीके से फोकस कर पाते हैं।

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बेंगर यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्‍ययन में साइकॉलजिस्ट्स ने 28 लोगों को लिखित निर्देश दिए और उनसे इन निर्देशों को मन में या बोलकर पढ़ने को कहा।

इस दौरान उनकी परफॉर्मेंस और कॉन्सनट्रेशन को परखा गया। शोधार्थियों ने पाया कि जिन लोगों ने निर्देशों को बोलकर पढ़ा, उनके दिमाग ने तथ्यों को उन लोगों की तुलना में अधिक अब्जॉर्ब किया, जिन्होंने इन्हें मन में पढ़ा।

न्यूरॉसाइकॉलजी ऐंड कॉगनेटिव साइकॉलजी की लेक्चरर और शोध से जुड़ी डॉक्टर पलोमा मेरी-बेफा के अनुसार ‘हमारे शोध में सामने आया है कि परफॉर्मेंस के दौरान जब हम खुद से बात करते हैं तो हमारी परफॉर्मेंस कहीं अधिक बेहतर होती है।

खासतौर पर जब हम मन में बोलने की जगह लाउड बोलकर बात करते हैं।’ जब हमारा ध्यान अपने काम पर लगा हो और हम बोलकर खुद से बात कर रहे हों, तो यह इस बात का प्रतीक या सिंबल है कि हमारा पूरा फोकस अपने काम पर है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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