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बेटियों की जरूरतों पर अधिक सजग रहते हैं पिता

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पिता,बेटे , बेटी,सजग

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न्यूयार्क। यूं तो हर पिता अपनी सभी संतानों को बराबर का प्यार देता है और उनकी हर जरूरत पूरी करने की कोशिश भी करता है, पर बात जब बाल्यावस्था में बेटे और बेटी की आवश्यकताओं की होती है तो वह बेटी की जरूरतों को लेकर अधिक सजग रहता है।

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यह दावा एक नए शोध में किया गया है, जिसे एमरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। मस्तिष्क के अध्ययन से संबंधी यह रिपोर्ट ‘विहेवियरल न्यूरोसाइंस’ जर्नल में प्रकाशित हुई है।

शोध रिपोर्ट के मुताबिक, संतान का लिंग पिता के मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं के साथ-साथ उनके व्यवहार को भी प्रभावित करता है।

30 लड़कियों व 22 लड़कों के 52 पिताओं पर किए गए शोध के मुताबिक, लड़कियों के मामले में पिता अपनी सभी प्रकार की भावनाओं को खुलकर जाहिर करते हैं, चाहे बात मायूसी या किसी बात को लेकर दुखी होने की ही क्यों न हो, जबकि लड़कों के मामले में पिता का व्यवहार बिल्कुल उलट होता है।

एमरी यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रमुख शोधकर्ता जेनिफर मस्कैरो के मुताबिक, “अगर बच्चा रोता है या पिता से किसी चीज की मांग करता है तो लड़कियों के मामले में पिता अपेक्षाकृत त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं।”

शोध के मुताबिक, पिता लड़कियों की भावनाओं को अपेक्षाकृत अधिक स्वीकार करते हैं। शोध में यह भी बताया गया है कि लड़कियों के खुश चेहरे को लेकर पिता का मस्तिष्क अधिक क्रियाशील होता है और इसी के अनुरूप यह अपेक्षाकृत अधिक प्रतिक्रिया देता है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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