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जब Bangaluru बन गया कश्मीर, बर्फबारी भी हुई

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बेंगलुरु। बेंगलुरु (Bangaluru) की वॉर्थूर झील के आसपास का इलाका सोशल मीडिया पर ‘नए कश्मीर’ के रूप में जाना जा रहा है। शनिवार को एक बार फिर यहां के लोगों को ‘बर्फबारी’ का सामना करना पड़ा। दरअसल यह पहाड़ों की बर्फ नहीं बल्कि शहर की सबसे प्रदूषित झील से निकलने वाला जहरीला झाग है जो एक बार फिर लोगों के सामने था।

मानसून की बौछारों के बाद आईटी हब बेंगलुरु अपनी तरह के खास बर्फबारी के कारण परेशानी में है। यह उस तरह की बर्फबारी नहीं जिससे मौसम ठंडा हो या लोगों को खुशनुमा अहसास हो बल्कियह विषैला और रासायनिक झाग है जो वॉर्थूर झील से निकल शहर के व्हाइटफील्ड मेन रोड पर आ रहा है।

शनिवार और रविवार को वार्थूर झील ने झाग देने शुरु कर दिया। चारों तरफ सडक़ो पर फोम ही फोम। नजारा देख कर तो ऐसा लग रहा था कि फोम हवा में उड़ रहे थे। इस खूबसूरत नजारे को लोगों ने एंजॉय करने के बजाय कन्नी काटी। लोग फोम से बचते दिखे। इस खूबसूरत फोम की वजह से ट्रैफिक की समस्या भी देखी गई।

पर्यावरमविदें का कहना है कि वॉर्थूर झील के झाग की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कर्नाटक लेक कंजरवेशन ऐंड डिवेलपमेंट और कर्नाटक स्टेट पलूशन कंट्रोल बोर्ड जैसी सरकारी एजेंसियों की असफलता को भी दर्शाता है।

साउथ बेंगलुरू में रहने वाले लोग वार्थूर झील से निकलने वाले फोम को देखकर दंग रह गए। कर्नाटका स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन लक्ष्मण ने कहा है कि ‘वार्थूर झील से निकलने वाले फोम के सैंपल को लैब में जांच के लिए भेज दिया गया है। हम झील के आसपास के इलाकों का सर्वे कर रहे हैं। हमने झील के आसपास के 20 इंडस्ट्रिज और अपार्टमेंट्स को चिन्हित किया और बुधवार को उनके प्रतिनिधियों से मिल रहे है, हमने इस घटना को लेकर संजीदा हैं।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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