Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

सार्वजनिक सुविधा केंद्र होंगे जीएसटी सुविधा प्रदाता : रविशंकर प्रसाद

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के पूरे देश में क्रियान्वयन में सुविधा के मकसद से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को सार्वजनिक सेवा केंद्र (सीएससी) पर जीसटी सुविधा प्रदाता की एक कार्यशाला का उद्घाटन किया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सीएससी व्यापारियों के पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने और जीएसटी के तहत कई जरूरतों को पूरा करने में सहयोग करेंगे। वे (सीएससी) पूरे देश में जीएसटी को लागू करने में प्रशिक्षण व सहयोग करेंगे।

प्रसाद ने कहा, जीएसटी का मतलब एक देश एक कर है। जीएसटी सुविधा प्रदाता सेवा जो आज शुरू की जा रही है, यह गांव स्तर के उद्यमियों (वीएलई) के लिए एक बड़ा अवसर है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि वीएलई इस अवसर से आगे बढ़ेंगे और सरकार को इससे अपने व्यापारियों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि सीएससी देश में एक बड़ी सेना है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि कंपनियों को सीएससी के बड़े नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहिए। इस डिजिटल युग में सीएससी की भूमिका बड़ी है। आज दो करोड़ लोगों ने भीम एप डाउनलोड किया है। सीएससी को इसे अपने समुदाय में लोकप्रिय बनाना चाहिए।

Continue Reading

नेशनल

ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

Published

on

Loading

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब वे नहीं जीते तो मतलब ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और जब चुनाव जीत गए तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में चिंता जताई थी तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हार गए, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी और जब वे जीते, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने जब कहा कि सभी जानते हैं कि चुनावों में पैसे बांटे जाते हैं, तो पीठ ने टिप्पणी की, “हमें कभी किसी चुनाव के लिए पैसे नहीं मिले।” याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका में एक और अनुरोध चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने और यह सुनिश्चित करने का था कि इस तरह की प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हों। याचिका में जागरूकता बढ़ाने और सूचित निर्णय लेने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा, आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग मतदान नहीं कर रहे हैं। यह कितनी त्रासदी है। आने वाले वर्षों में क्या होगा यदि लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहा और हम कुछ नहीं कर पाए।

 

Continue Reading

Trending