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जज्‍बे की ‘बाहुबली’ बेटियों ने मां के लिए खोद डाला कुंआ

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'बाहुबली', कुंआ, छत्तीसगढ़, कोरिया

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रायपुर। बहुचर्चित फिल्म ‘बाहुबली’ में अपनी मां को शिवजी के जलाभिषेक के लिए दूर से पानी भर-भरकर लाता देख बाहुबली शिवलिंग को ही उठाकर पानी के नजदीक ले जाता है। फिल्म के इस दृश्य के मार्मिक दृश्यांकन में बेटे के समाधान के तरीके को दर्शकों की खूब तालियां मिलती हैं।

'बाहुबली', कुंआ, छत्तीसगढ़, कोरिया

अब आप भी एक ऐसे ही समाधान के साहसिक उपाय करने वाली दो होनहार बेटियों के लिए भी तालियां बजा सकते हैं। बात छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की है। यहां की एक मां चिलचिलाती गर्मी में दो किलोमीटर दूर से पानी भरकर घर लाया करती थी। इन बेटियों से यह देखा न गया और उन्‍होंने धरती का सीना चीर कर कुआं खोद डाला। कुदरत ने भी बेटियों के हौसले को सलाम किया और 20 फीट की गहराई में ही पानी का उपहार दे दिया।

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बेटियों की मां के प्रति प्रेम और वेदना के साथ-साथ ही उनके हौसलों के आगे हर कोई नतमस्तक हो रहा है। छत्तीसगढ़ की संसदीय सचिव चंपादेवी पावले ने भी बेटियों की इस हौसले की तारीफ की और हरसंभव मदद देने की बात कही है।

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के विकासखंड मनेंद्रगढ़ के कछौड़ गांव में अमरसिंह गोंड़ और उनकी पत्नी जुकमुल अपनी दो बेटियों शांति और विज्ञांति के साथ रहते हैं। यह परिवार मजदूरी कर गुजर बसर करता है।

बताया जाता है कि कसहियापारा में 15 परिवार रहते हैं। जहां उनके लिए तीन हैंडपंप है। इनमें दो खराब हैं और एक में दूषित पानी आता है जो किसी काम का नहीं है। ऐसी स्थिति में कसहियापारा के लोग पानी के लिए दो किलोमीटर दूर मुड़धोवा नाले पर निर्भर हैं।

बता दें कि जब शांति और विज्ञांति ने घर के समीप कुआं खोदने की बात कही तो मां-पिता सहित सभी ने मजाक समझ कर टाल दिया, लेकिन बेटियों को कुआं खोदते देख वे सभी सहयोग के लिए जुट गए और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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