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बिजनेस

दार्जिलिंग : बंदी से चाय कारोबार प्रभावित, स्टॉक खत्म होने की कगार पर

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कोलकाता, 8 जुलाई (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल के उत्तरी पर्वतीय इलाके में पृथक राज्य गोरखालैंड बनाने की मांग को लेकर करीब महीने भर से चल रहे हड़ताल के कारण दार्जिलिंग का चाय कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और चाय कारोबारियों का कहना है कि अगर बंद इसी तरह जारी रहा तो 18 जुलाई को निर्धारित नीलामी के दिन नीलामी के लिए दार्जिलिंग चाय का भंडार ही नहीं होगा। व्यापारियों का कहना है कि हड़ताल के चलते दार्जिलिंग के 87 चाय बागानों में तोड़ाई का काम 9 जून के बाद से ही बंद है, जिसके चलते नीलामी केंद्रों पर विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग चाय की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

कलकत्ता चाय व्यापारी संघ के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, हमारे पास अभी दार्जिलिंग चाय का कुछ भंडार है, जो हड़ताल शुरू होने से पहले आया था। आखिरी बार 12 जुलाई को हुई नीलामी में 58,800 किलोग्राम चाय स्टॉक की बिक्री की गई थी। अब 18 जुलाई को निर्धारित नीलामी के लिए दार्जिलिंग चाय का 20,000 किलोग्राम स्टॉक ही बचा है।

दार्जिलिंग चाय संघ के अध्यक्ष विनोद मोहन ने कहा कि हड़ताल के कारण चाय उद्योग को 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि बंदी के कारण चाय बागानों में काम करने वाले 5 लाख कामगारों सहित चाय उद्योग से जुड़े सभी हितधारकों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि बंदी के कारण कई चाय बागान बंद हो सकते हैं, जिन्हें दोबारा शुरू करना मुश्किल होगा।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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