ऑफ़बीट
सऊदी अरब में छोटे कपड़ों में घूमती युवती का वीडियो वायरल, छिड़ी बहस
रियाद। सऊदी अरब के एक गांव में छोटे कपड़ों में घूमती एक युवती का वीडियो क्या वायरल हुआ, वहां के सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई। बेहद कट्टरपंथी माहौल वाले सऊदी में युवती का इस तरह के कपड़ों में बैखौफ होकर घूमना लोगों को हैरान कर रहा है।
सऊदी अरब में मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप पहनकर घूमती दिख रही युवती को देखकर लोग काफी नाराजगी दिखा रहे हैं। ऐसी संभावना है कि यह युवती स्थानीय नहीं, बल्कि विदेशी है।
कई लोगों ने इस मॉडल को सजा देने की मांग की है। वहीं, कुछ यूजर इस युवती का समर्थन करते हुए सऊदी में महिलाओं के कपड़ों से जुड़े कानून बदलने की मांग कर रहे हैं।
यह वीडियो शुरुआत में स्नैपचैट पर पोस्ट किया गया था। इसमें एक युवती सऊदी के ऑशेगर गांव स्थित ऐतिहासिक किले में घूम रही है। यह गांव राजधानी रियाद से करीब 200 किमी उत्तर–पश्चिम में है। युवती ने मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप पहन रखा है। सोमवार को सऊदी मीडिया ने यह जानकारी दी।
यह गांव नज्द इलाके में है। यह इलाका बेहद कट्टरपंथी माना जाता है और अपने पारपंरिक तौर-तरीकों के लिए जाना जाता है। सऊदी प्रशासन ने इस युवती के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
उनका कहना है कि युवती ने सऊदी के ड्रेस कोड और तौर-तरीकों का उल्लंघन किया है। एक विशेष समिति को मामले की जांच सौंपी है।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। सऊदी में महिलाएं क्या पहन सकती हैं और क्या नहीं, यह शरिया कानून से तय होता है। यहां महिलाओं के लिए एक ड्रेस कोड तय है। यहां महिलाओं के लिए लम्बे और ढीले-ढाले, पूरे शरीर को ढंकने वाले बुर्के (अबाया) पहनना अनिवार्य है।
ज्यादातर महिलाएं ऐसे अबाया पहनती हैं, जिनसे उनका चेहरा, मुंह, सिर और बाल सभी ढंके रहते हैं। कुछ महिलाएं पूरे चेहरे को ढंकने वाला नकाब लगाती हैं। यहां महिलाओं के लिए बेहद सख्त कानून हैं। वह बिना मर्द के घ्रों के बाहर नहीं निकल सकती और न बैंक में उनका खाता ही खोला जाता है।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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