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सुनंदा के बेटे ने स्वामी की याचिका को चुनौती दी

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के सौतेले बेटे शिव मेनन ने शनिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय तरीके से हुई मौत के मामले की अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच की मांग की थी। मेनन ने कहा कि वह बेहद तनाव के दौर से गुजर रहे हैं कि उनकी मां का नाम सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है, जिसके परिणामस्वरूप अफवाहें व अटकलें लगाई जाती हैं, जिससे उन्हें बेहद दुख होता है।

मेनन के वकील तथा वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने न्यायमूर्ति जी.एस.सिस्तानी से कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत से संबंधित मामले में स्वामी द्वारा याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं बनता।

उन्होंने न्यायालय से यह भी कहा कि वह मामले की त्वरित जांच का निर्देश जारी करें।

न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की।

मेनन ने अपनी मां की मौत के मामले में स्वामी द्वारा अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच की याचिका के विरोध में एक याचिका दाखिल कर तर्क दिया कि स्वामी ने यह याचिका केवल मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए दाखिल की।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वामी ने अपनी याचिका की सारी बातें फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर साझा कर दी, और ऐसा याचिका पर सुनवाई से पहले किया गया।

पाहवा ने कहा कि उच्च न्यायालय साल 2015 की शुरुआत में इसी आधार पर एक जनहित याचिका को खारिज कर चुका है, जिसका खुलासा स्वामी ने नहीं किया।

न्यायालय ने गुरुवार को स्वामी की याचिका पर पुलिस से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।

उल्लेखनीय है कि 17 जनवरी, 2014 को पुष्कर (52) दिल्ली के एक होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं।

स्वामी ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि पुष्कर की मौत की जांच को बंद कराने का पहले कई बार प्रयास किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की प्राथमिकी दर्ज करने में लगभग एक वर्ष का वक्त लगा और उसके बाद कुछ नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि तीन वर्षो के बाद भी पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है और न ही हिरासत में लेकर किसी से पूछताछ की गई है।

स्वामी ने कहा कि कई सबूत नष्ट कर दिए गए। दिल्ली पुलिस ने इस जांच में लापरवाही के लिए सतर्कता जांच शुरू की है। उन्होंने कहा कि अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि सुनंदा की मौत ‘अस्वाभाविक’ और ‘जहर के कारण’ हुई।

स्वामी ने मामले की समयबद्ध जांच की मांग करते हुए कहा, मामले में बेहद प्रभावशाली लोग शामिल हैं, जिसके कारण उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं और मामले में पहले ही अनावश्यक विलंब हो चुका है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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