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बिजनेस

रुपये के मूल्य में बढ़ोतरी से निर्यातकों को नुकसान : एसोचैम

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नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)| मुद्रास्फीति काबू में होने के बावजूद रुपये की कीमत उसके वास्तविक मूल्य से ज्यादा है, जिससे निर्यातकों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। डॉलर के खिलाफ रुपये के मूल्य में बढ़ोतरी से निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता सीधे प्रभावित होती है। एसोचैम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बातें कही गईं। एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, पिछले एक साल में रुपया करीब 6 फीसदी गिरा था। लेकिन अगस्त में यह डॉलर के खिलाफ 66.93 की बजाए 63.63-70 के स्तर पर है। इससे स्पष्ट है कि रुपये के बाह्य मूल्य में मजबूती आई है। वहीं, दूसरी तरफ मुद्रास्फीति में पांच साल की सबसे बड़ी गिरावट के बावजूद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के रिवर्स अनुपात में यह मजबूती पर बना हुआ है।

इसमें कहा गया, हां, मुद्रास्फीति कमजोर है, लेकिन अभी भी यह अपस्फिति की स्थिति है, क्योंकि कीमतों में गिरावट नहीं हुई है। इसका मतलब यह है कि रुपये से अभी भी कम वस्तुएं ही खरीदी जा सकती हैं (कम से कम 1.58 फीसदी तक), लेकिन जब इसका मूल्य डॉलर के खिलाफ नापा जाता है तो यह करीब 6 फीसदी बढ़ा है।

रुपये में मजबूती से निर्यातकों का कारोबार प्रभावित हुआ है, जिसे निर्यात की जानेवाली वस्तुओं में आई गिरावट से नापा जा सकता है। इसमें कोई शक नहीं है कि जून तक पिछले 9 महीनों में निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ने भी दर्ज किया है कि अप्रैल में तेजी के बाद से मई और जून में निर्यात की वृद्धि दर प्रभावित हुई है। क्योंकि सभी वस्तुओं का निर्यात मूल्य धीमा हुआ है या घटा है।

साल 2017 के जून में निर्यात में 4.39 फीसदी की वृद्धि हुई और 23.56 अरब डॉलर का निर्यात हुआ जबकि एक साल पहले जून महीने में यह 22.57 अरब डॉलर था। जबकि यह वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में अप्रैल में 20 फीसदी थी। वृद्धि दर में यह गिरावट महीने दर महीने दिख रही है, जिसका कारण रुपये के संदर्भ में डॉलर की गिरती कीमत है।

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, रुपये में मजबूती से नियार्तकों के मार्जिन में 6-7 फीसदी की गिरावट तो निश्चित रूप से स्पष्ट है और शेयर बाजार में विदेशी धन के मजबूत प्रवाह के कारण अभी रुपया आगे भी मजबूत होगा। डॉलर की आवक से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 392 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया है। यह वैश्विक तरलता के उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय बाजारों में जाने के रास्ते ढूंढने का नतीजा है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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