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खेलने वाले गुब्बारे ने 8 महीने के बच्चे की ले ली जान

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नासिक में थोड़ी सी लापरवाही दे गई जिंदगीभर का दुख

नासिक। आप यह सोचते हैं कि रोते बच्‍चे को बहलाने के लिए उन्‍हें हाथ में गुब्‍बारा देकर चुप कराने का तरीका सेफ है तो जरा संभल जाइए।

नासिक में 8 माह के बच्‍चे के लिए खेलने वाला गुब्‍बारा काल बन कर निगल गया। बच्चा गुब्बारे से खेलते-खेलते उसे मुंह के अंदर निगल गया। जो सांस की नली में जा फंसा। गुब्बारा बच्चे की सांस नली में फंसने के कारण बच्चे की तुरंत मौत हो गई।

यह दर्दनाक घटना नासिक के हनुमान चौक परिसर की है। बच्चे के पिता विनोद जयसवाल फूल विक्रेता हैं। बच्चा अपने पिता की दुकान में ही खेल रहा था। पिता अपने बच्चे को संभाल भी रहे थे।

साथ–साथ दुकान का काम भी देख रहे थे। बच्चा अपने पिता के साथ किलकारी मारकर खेल रहा था। बच्चे को खुश करने के लिए और मन बहलाने के लिए सामने से गुजर रहे एक गुब्बारे वाले से गुब्बारा खरीदकर पिता ने बच्चे को दिया। बच्चा गुब्बारा पाकर काफी खुश था।

खेलते-खेलते जब गुब्बारा फूट गया, तब भी पिता का ध्यान नहीं था। उसी गुब्बारे को बच्चे ने मुंह में डालकर निगल लिया। पिता ने देखा कि बच्चा अचानक बेहोश हो गया।

उसकी सांस नहीं चल रही है। बच्चे की हालत देख पिता ने तुरंत उसे पास के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इलाज के दौरान ही बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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