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बिजनेस

सोना पर महज 3 फीसदी जीएसटी काफी कम : आर्थिक सर्वेक्षण

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नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत सोना पर कर की दर महज तीन फीसदी है, जो काफी कम है, क्योंकि इसका ज्यादा उपभोग अमीरों द्वारा किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के लेखक मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम का यह मानना है। आर्थिक सर्वेक्षण भाग दो 2016-17 को शुक्रवार को सदन के पटल पर रखा गया था। इसमें कहा गया है, सोने और आभूषण उत्पादों पर कर -जो कि बहुत ही अमीर लोगों द्वारा खपत की जाती है- तीन फीसदी है, जो अभी भी कम है।

दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर कर लगाने की आवश्यकता थी। इसमें कहा गया है, स्वास्थ्य और शिक्षा को पूरी तरह से बाहर रखना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि इन सेवाओं का अमीर लोगों द्वारा बेहिसाब इस्तेमाल किया जाता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र देश में पूरी तरह से कर दायरे से बाहर है। इन क्षेत्रों को जीएसटी के तहत भी छूट दी गई है और केंद्र और राज्य सरकारें भी इन पर कोई कर नहीं लगाती हैं।

शराब, पेट्रोलियम, ऊर्जा उत्पाद, बिजली और कुछ स्थानों पर जमीन और रियल एस्टेट लेनदेन को जीएसटी से बाहर रखा गया है। लेकिन इन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कर लगाती हैं।

सर्वेक्षण में कहा गया है, जीएसटी ढांचे में बिजली को रखने से भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।

आर्थिक सर्वे ने कहा है, जीएसटी में जमीन व रियल एस्टेट और शराब को शामिल करने से पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि आने वाले महीनों में जीएसटी परिषद को इन मुद्दों को उठाना होगा।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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