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राजनीति तमाशा नहीं जनसेवा है : नीतीश

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पटना, 19 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां शनिवार को कहा कि राजनीति तमाशा नहीं जनसेवा है। उन्होंने कहा कि बिहार का जनादेश पिछलग्गू बनकर हर तरह के कुकर्मो का समर्थन करना नहीं था, बल्कि न्याय के साथ विकास का है। जद (यू) के खुला अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और पार्टी से बागी बने शरद यादव पर निशाना साधते हुए कहा, बिहार में महागठबंधन को जनादेश भ्रष्टाचार या परिवारवाद का समर्थन करने के लिए नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में जो हालत पैदा हो गए थे, उसमें 20 महीने तक सरकार चला दिया यह बड़ी बात है।

जद (यू) के अध्यक्ष ने संपत्ति कमाने को बुरी लत बताते हुए कहा, जो माल (संपत्ति) बनाने वाले लोग हैं, उनको यह बीमारी है। जो माल बना रहे हैं, वह यहीं रह जाएगा। फिर भी लोग न जाने कौन-कौन काम करते हैं। अर्जित धन किसी के काम नहीं आता है। कफन में जेब नहीं है, अकेले ही ऊपर जाना है।

उन्होंने जनादेश के अपमान किए जाने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि महागठबंधन तोड़ने का निर्णय दल का निर्णय है।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, कुछ लोग जो बात करते हैं जनादेश का, हम पूछना चाहते हैं कि किस लिए जनादेश मिला था। वह जनादेश बिहार के विकास के लिए मिला था या परिवार के विकास के लिए?

मुख्यमंत्री ने कहा, राजद के सत्ता में आते ही लोगों के बीच भय पैदा हो गया था। महागठबंधन टूटने के बाद वह भय समाप्त हो गया है। लेकिन सत्ता से बाहर आते ही राजद के लोग तरह-तरह की हरकतें कर रहे हैं। लेकिन जनता सब देख रही है।

उन्होंने कहा, हमें किसी पद की लालसा नहीं है, लोगों की खिदमत के लिए इस पद पर हैं। लोगों की सेवा करते हैं और करते रहेंगे।

नीतीश ने बिहार में आई बाढ़ को अभूतपूर्व बताते हुए कहा, इस वर्ष नदियों के पानी में प्रवाह तेज है। राज्य के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। उन्होंने सभी से बाढ़ पीड़ितों को मदद करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार मदद के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित लोगांे को राज्य के खजाने पर पहला हक है।

जद (यू) के टूट के किसी प्रकार की खबर को निराधार बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में कहीं टूट नहीं है। सभी विधायक, विधानपार्षद राज्य समितियां साथ हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को चुनौती देते हुए कहा कि जिसे पार्टी तोड़ना है, तोड़ कर दिखाएं।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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