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ममता ने केंद्र पर हिंसा से निपटने में दोहरे रवैये का आरोप लगाया

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कोलकाता, 28 अगस्त (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की निंदा की। ममता ने भाजपा शासित राज्यों व गैर भाजपा शासित राज्यों में हिंसा की घटनाओं से निपटने में भेदभाव बरतने का आरोप लगाया।

हरियाणा के पंचकूला में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दुष्कर्म का दोषी करार देने पर हुई हिंसा में मौतों का जिक्र करते हुए ममता ने आरोप लगाया, भाजपा पश्चिम बंगाल में ‘राम’ व ‘रहीम’ के नाम पर दंगा कराने का प्रयास कर रही है। उन्होंने हमेशा हिंदू व मुस्लिम को बांटने का प्रयास किया है। लेकिन पंचकूला में एक ‘राम रहीम’ को रोकने की कोशिश में 30 लोगों की मौत हो गई और बहुत सारे लोग घायल हो गए।

तृणमूल की छात्र शाखा द्वारा आयोजित रैली में अपने संबोधन में ममता ने कहा कि केंद्र भाजपा शासित राज्यों व देश के दूसरे दंगा प्रभावित राज्यों में केंद्रीय बलों की तैनाती में भेदभाव कर रहा है।

ममता ने कहा, जब दार्जिलिंग में अशांति थी तो हमें सिर्फ सेना की चार बटालियन दी गईं, वह भी अदालत के आदेश पर। जबकि, हाल में हुए हंगामे में हरियाणा सरकार को 40 बाटालियन दी गई। भाजपा शासित राज्यों के लिए अलग व्यवस्था है और गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए अलग। क्या ऐसे सरकार चलाई जानी चाहिए?

हरियाणा में 25 अगस्त को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दुष्कर्म का दोषी करार दिए जाने पर डेरा समर्थकों ने पंचकूला व सिरसा में उपद्रव, तोड़फोड़, आगजनी की थी। गुरमीत राम रहीम को सोमवार को हरियाणा के रोहतक में अदालत ने 2002 के दुष्कर्म मामले में दस साल की सजा सुनाई।

गृह मंत्रालय ने राज्य की स्थिति को सोमवार को तनावपूर्ण बताया, लेकिन स्थिति के नियंत्रण में होने की बात कही।

गृह मंत्रालय का कहना है कि डेरा प्रमुख मामले में हिंसा में पैंतीस लोगों की मौत हुई है। इनमें से 17 पंचकूला में, छह सिरसा में और बारह चंडीगढ़ में मारे गए हैं।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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