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बिजनेस

देश की थोक महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 3.24 फीसदी

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नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| खाद्य पदार्थो और ईधन की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी के कारण देश के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर अगस्त महीने में लगभग दोगुनी होकर 3.24 फीसदी रही है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में थोक महंगाई दर 1.88 फीसदी रही थी जबकि अगस्त 2016 में यह दर 1.09 फीसदी थी।

मंत्रालय के मुताबिक, अगस्त 2017 की थोक महंगाई दर 3.24 फीसदी रही है, जबकि जुलाई में यह 1.88 फीसदी थी और अगस्त 2016 में 1.09 फीसदी थी। इस वित्त वर्ष की बिल्ट इन महंगाई दर 1.41 फीसदी रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.25 फीसदी थी।

थोक कीमतें जुलाई में बढ़कर 1.88 फीसदी हो गई, जबकि जून में यह 0.90 फीसदी और मई में 2.26 फीसदी पर थी।

सेगमेंट के आधार पर देखें तो प्राथमिक वस्तुओं की कीमत 2.66 फीसदी बढ़ी, जबकि जुलाई में इसमें 0.46 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। डब्ल्यूपीआई में प्राथमिक वस्तुओं का वजन 22.62 फीसदी है।

हालांकि साल-दर-साल आधार पर प्राथमिक वस्तुओं की कीमत समीक्षाधीन अवधि में कम रही है, साल 2016 के अगस्त में यह 4.78 फीसदी थी।

खाद्य महंगाई दर बढ़कर 5.75 फीसदी रही जबकि जुलाई 2017 में यह 2.15 फीसदी थी।

वार्षिक आधार पर प्याज की कीमतें बढ़कर 88.46 फीसदी रही जबकि आलू की कीमत नकारात्मक 43.82 फीसदी रही है।

अगस्त में सब्जियों की कीमतें बढ़कर 44.91 फीसदी रही है जबकि अगस्त 2016 में यह नकारात्मक 7.75 फीसदी थी।

वार्षिक आधार पर गेंहू सस्ता हो गया है। इसकी दर नकारात्मक 1.44 फीसदी रही है जबकि प्रोटीन आधारित खाद्य सामग्रियां अंडे, मांस और मछली मंहगी हो गई हैं। यह बढ़कर 3.93 फीसदी हो गई हैं।

ईंधन और बिजली की कीमतों में 9.99 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

उत्पाद के आधार पर अगस्त में हाई स्पीड डीजल में 20.30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पेट्रोल के दाम में 24.55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और एलपीजी की कीमतें 5.33 फीसदी बढ़ी।

मंगलवार को सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय ने अगस्त के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को जारी किया, जिसमें खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में 1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 3.36 फीसदी रही, जबकि जुलाई में यह 2.36 फीसदी थी।

समीक्षाधीन अवधि में क्रमिक आधार पर देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) में जुलाई की तुलना में 1.52 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

हालांकि साल-दर-साल आधार पर अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति दर कम रही है, क्योंकि पिछले साल अगस्त में यह 5.05 फीसदी थी।

साल-दर-साल आधार पर शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 3.35 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण इलाकों में 3.30 फीसदी रही।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाद्य पदार्थो जैसे सब्जियां, अनाज, दूध-आधारित उत्पाद, मांस और मछली की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है।

साल-दर-साल आधार पर अगस्त में सब्जियों की कीमतों में 6.16 फीसदी की तथा अनाजों की कीमतों में 3.87 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। वहीं, मांस-मछली की कीमत में 2.94 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।

गैर-खाद्य पदार्थो में ईंधन और बिजली के खंड में महंगाई दर बढ़कर 4.94 फीसदी दर्ज की गई।

डब्ल्यूपीआई आंकड़ों के बारे में एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, जहां तक सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का सवाल है तो यह मौसमी है। लेकिन पेट्रोल की कीमत में 24 फीसदी और डीजल की कीमत में 20 फीसदी की छलांग चिंताजनक है और इसका असर सभी क्षेत्रों पर पड़ेगा।

रावत ने कहा कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट रही है, ऐसे में दाम नहीं बढ़ने चाहिए।

उद्योग संगठनों ने पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत लाने की मांग की।

प्रमुख व्यापार चेंबर फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, मुद्रास्फीति के आंकड़ों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मौटे तौर पर खाद्य पदार्थो तथा ईधन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है। पहले ही हमने कृषि उत्पादन दोगुना करने के प्रयास किए हैं, साथ ही वितरण और आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूत किया जाना चाहिए।

पटेल ने कहा, बढ़ती मुद्रास्फीति चिंताजनक है, लेकिन हमें उम्मीद है कि आरबीआई कमजोर औद्योगिक वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए संतुलित रूख अपनाएगा। आगे भी प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की जरुरत है, ताकि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़े और विकास को प्रोत्साहन मिले।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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