बिजनेस
एलजी ने नेत्रदान के लिए ‘करें रोशनी’ पहल शुरू की
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| इस दिवाली एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने संकर आई हॉस्पिटल के सहयोग से देश भर में लोगों की जिंदगी रोशन करने के लिए आंखों के लिए हजारों ऑपरेशन का खर्च उठाएगा। इस अनूठी पहल का नाम है ‘करें रोशनी’। एलजी ने इससे पहले ‘करसलाम’ कैम्पेन शुरू किया था, जोकि भारतीय सैन्य बलों के लिए समर्पित था। एलजी ने इस साल रोशनी के त्योहार- दिवाली पर दृष्टिबाधित लोगों को ‘देखने का उपहार’ (गिफ्ट ए विजन) प्रदान करने की पहल शुरू की है। इस पहल के तहत एलजी समूचे देश को आगे आने और इस नेक कार्य के लिए अपनी आंखें दान करने का संकल्प लेने के लिए एलजी के शॉप्स में आमंत्रित करेगा।
एलजी इस पहल को रेडियो एवं डिजिटल मीडिया के जरिये शुरू करेगा और एलजी स्टोर्स में ऑन-ग्राउंड एक्टीवेशंस भी होंगे। इसमें भारतीयों को इस कार्य के लिए नेत्र दान करने का संकल्प लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के प्रबंध निदेशक किम की वान ने कहा, करें रोशनी एलजी की एक अनूठी पहल है और यह दृष्टिबाधितों की जिंदगी में रोशनी लेकर आएगी। एलजी में हम इस सरोकार का दृढ़ता से समर्थन करते हैं और सुनिश्चित करेंगे कि उपभोक्ता भी आगे आकर हमारे स्टोर्स में संकल्प लें और ऐसे लोगों की मदद करें। एलजी ने ऐसे ब्रांड के रूप में अपनी साख बनाई है जोकि समाज की परवाह करता है। हमें खुशी है कि हम ऐसे नेक सरोकारों से जुड़े हुए हैं।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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