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बिजनेस

नोटबंदी बाद 2 लाख कंपनियों ने 4550 करोड़ रुपये जमा किए, निकाले

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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नोटबंदी के बाद दो लाख संदिग्ध कंपनियों ने खाते का संचालन कर 4,550 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा कराई और निकाली है। यह जानकारी 13 बैंकों से मिली है। सरकार ने इसे कालेधन के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता बताया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया है कि इस वर्ष की शुरुआत में कंपनियों के रजिस्टर में दर्ज 209,323 संदिग्ध कंपनियों पर रोक लगा दी गई थी और उनके बैंक खातों का संचालन केवल उनकी देनदारियां पूरी करने के लिए सीमित कर दिया गया था।

बयान में कहा गया है कि पिछले साल नोटबंदी की घोषणा के एक दिन बाद नौ नवंबर को जब तक उनपर रोक नहीं लगाई गई थी, तब तक इन कंपनियों ने अपने खाते में 4,573.87 करोड़ रुपये की बड़ी राशि जमा करा दी थी और उसी के समान 4,552 करोड़ रुपये की रकम वापस भी निकाल ली थी। ऋण खातों के साथ ही 80.79 करोड़ रुपये का नकारात्मक ओपनिंग बैलेंस था।

बयान में कहा गया है, उसके बाद खातों को फिर से शेष राशि के साथ निष्क्रिय खातों के रूप में छोड़ दिया गया था। जैसा कि पहले बताया गया है, नोटबंदी के बाद से लेकर जब तक कंपनियों को भंग नहीं कर दिया गया, तब तक कंपनियां प्राधिकारियों को धन प्रेषित करती रहीं। कुछ मामलों में, कुछ कंपनियां अधिक साहसी हो गई हैं और बंद होने के बाद भी जमा और निकासी करती रहीं।

इसी तरह, एक अन्य बैंक के मामले में 3,000 से अधिक कंपनियों के पास एक से अधिक खाते थे। आठ नवंबर, 2016 तक इनके पास करीब 13 करोड़ रुपये की राशि जमा थी। नोटबंदी की घोषणा के बाद इन कंपनियों ने करीब 3,800 करोड़ रुपये जमा किए और वापस निकाल लिए। खातों को सीज करते वक्त इनमें लगभग 200 करोड़ रुपये का एक नकारात्मक संचयी शेष बना हुआ था।

बयान में कहा गया है, इसपर गौर करने की जरूरत है कि यह आंकड़ा सरकार द्वारा बंद की गई संदिग्ध कंपनियों की कुल संख्या का लगभग 2.5 प्रतिशत है। इन कंपनियों द्वारा किया गया पैसों का यह लेनदेन शायद भ्रष्टाचार के हिमालय की एक चोटी हो सकती है।

बयान में कहा गया है कि इन 13 बैंकों ने आंकड़ों की अपनी पहली किस्त जमा करा दी है। उनके द्वारा प्राप्त आंकड़े केवल लगभग 5,800 कंपनियों (बंद की गई दो लाख से अधिक कंपनियों में से) से संबंधित हैं, जिनमें 13,140 खाते शामिल हैं।

नोटबंदी से पहले के इन कंपनियों के खातों के बैलेंस और नोटबंदी के दौरान उनके खातों से किए गए लेनदेन से संबंधित यह आंकड़ा अधिक चौंकाने वाला है।

इन कंपनियों ने ऋण खातों को अलग करने के बाद आठ नवंबर, 2016 को इन कंपनियों के खातों में मात्र 22.05 करोड़ रुपये जमा थे।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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