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मुख्य समाचार

नीतीश के लिए आसान नहीं आगे की राह

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पटना| बिहार में सतारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में चल रहे सत्ता संघर्ष की लड़ाई अब राजधानी पटना से दिल्ली पहुंच गई है। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जद (यू) विधायक दल का नेता एक बार फिर चुन लिया गया है। परंतु नीतीश की आगे की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

राजनीति के जानकार कहते हैं कि नीतीश मुख्यमंत्री बन भी जाते हैं तो उन्हें जीतन राम मांझी निर्मित मझधार से निकल पाना आसान नहीं होगा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश को जहां अपने ‘न्याय के साथ सुशासन’ कार्यक्रम को व्यवस्थित करना होगा, वहीं सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूत करना उनके लिए एक नई चुनौती होगी।

राजनीति के जानकार c कहते हैं, “राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन के बाद सुशासन की नई परिभाषा गढ़ने का तो उनपर दबाव होगा ही मांझी द्वारा महादलितों में बनाई गई पैठ को समाप्त करना उनके लिए आसान नहीं होगा।”

किशोर कहते हैं, “मांझी ने सत्ता संभालने के बाद महादलितों के बीच अपनी पैठ बनानी प्रारंभ की है तथा गाहे बगाहे नीतीश कुमार से विकास की लंबी लकीर खींचने का भी दावा करते रहे हैं। ऐसे में यह नहीं भुलाया जा सकता है कि मांझी ने इतने कम दिनों में ही महादलितों में अपनी पहचान बनाई है।”

इसका परिणाम उस समय भी देखने को मिला जब नीतीश को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने के बाद मांझी के समर्थन में पटना सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुआ।

पटना के जाने-माने पत्रकार अजय कुमार कहते हैं कि मांझी के विवादास्पद बयानों को उसी अंदाज में खंडन के साथ जवाब दिया जाना भी नीतीश के लिए आसान नहीं होगा। वह कहते हैं कि महादलितों को एकजुट करने के लिए की गई कड़ी बातों के जवाब भी अब नीतीश को देने पड़ेंगे।

नीतीश कुमार ने हालांकि मंगलवार को मांझी को मुख्यमंत्री बनाने की गलती स्वीकार कर पहले मोर्चे की लड़ाई प्रारंभ करने के संकेत दे दिए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर भी मानते हैं कि “सरकारी घोषणाओं से भी निपटना नीतीश के लिए चुनौती होगी। मुख्यमंत्री की घोषणाओं की लंबी फेहरिस्त अक्सर चर्चा में रही है। बिहार के अगले मुख्यमंत्री को इन घोषणाओं से जूझना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।”

उल्लेखनीय है कि सोमवार को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर नीतीश कुमार ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। नीतीश के समर्थन में 130 विधायक सामने आ चुके हैं। इनमें जद (यू) के 99, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीटें रिक्त हैं। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या आवश्यक है।

नीतीश अपने समर्थक विधायकों के साथ बुधवार शाम राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी

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लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।

1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।

2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।

3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।

4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।

5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।

6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।

7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।

8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।

9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।

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