Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

नीतीश के लिए आसान नहीं आगे की राह

Published

on

Loading

पटना| बिहार में सतारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में चल रहे सत्ता संघर्ष की लड़ाई अब राजधानी पटना से दिल्ली पहुंच गई है। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जद (यू) विधायक दल का नेता एक बार फिर चुन लिया गया है। परंतु नीतीश की आगे की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

राजनीति के जानकार कहते हैं कि नीतीश मुख्यमंत्री बन भी जाते हैं तो उन्हें जीतन राम मांझी निर्मित मझधार से निकल पाना आसान नहीं होगा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश को जहां अपने ‘न्याय के साथ सुशासन’ कार्यक्रम को व्यवस्थित करना होगा, वहीं सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूत करना उनके लिए एक नई चुनौती होगी।

राजनीति के जानकार c कहते हैं, “राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन के बाद सुशासन की नई परिभाषा गढ़ने का तो उनपर दबाव होगा ही मांझी द्वारा महादलितों में बनाई गई पैठ को समाप्त करना उनके लिए आसान नहीं होगा।”

किशोर कहते हैं, “मांझी ने सत्ता संभालने के बाद महादलितों के बीच अपनी पैठ बनानी प्रारंभ की है तथा गाहे बगाहे नीतीश कुमार से विकास की लंबी लकीर खींचने का भी दावा करते रहे हैं। ऐसे में यह नहीं भुलाया जा सकता है कि मांझी ने इतने कम दिनों में ही महादलितों में अपनी पहचान बनाई है।”

इसका परिणाम उस समय भी देखने को मिला जब नीतीश को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने के बाद मांझी के समर्थन में पटना सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुआ।

पटना के जाने-माने पत्रकार अजय कुमार कहते हैं कि मांझी के विवादास्पद बयानों को उसी अंदाज में खंडन के साथ जवाब दिया जाना भी नीतीश के लिए आसान नहीं होगा। वह कहते हैं कि महादलितों को एकजुट करने के लिए की गई कड़ी बातों के जवाब भी अब नीतीश को देने पड़ेंगे।

नीतीश कुमार ने हालांकि मंगलवार को मांझी को मुख्यमंत्री बनाने की गलती स्वीकार कर पहले मोर्चे की लड़ाई प्रारंभ करने के संकेत दे दिए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर भी मानते हैं कि “सरकारी घोषणाओं से भी निपटना नीतीश के लिए चुनौती होगी। मुख्यमंत्री की घोषणाओं की लंबी फेहरिस्त अक्सर चर्चा में रही है। बिहार के अगले मुख्यमंत्री को इन घोषणाओं से जूझना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।”

उल्लेखनीय है कि सोमवार को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर नीतीश कुमार ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। नीतीश के समर्थन में 130 विधायक सामने आ चुके हैं। इनमें जद (यू) के 99, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीटें रिक्त हैं। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या आवश्यक है।

नीतीश अपने समर्थक विधायकों के साथ बुधवार शाम राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं।

मुख्य समाचार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

Published

on

Loading

पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

Continue Reading

Trending