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नजीब का पता लगाने में सीबीआई नहीं ले रही रुचि : हाईकोर्ट

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नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायलय ने जेएनयू से लापता हुए छात्र नजीब अहमद का पता लगाने में एक साल बाद भी नाकाम रहने पर सोमवार को केंद्रिय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि लापता छात्र का पता लगाने में सीबीआई पूरी तरह रुचि नहीं ले रही है। न्यायमूर्ति जी.एस.सिस्तानी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी पर तंज कसते हुए कहा, इस मामले में रुचि की पूरी तरह कमी दिखाई दे रही है।

अदालत ने सीबीआई की मंशा पर भी संदेह प्रकट किया, क्योंकि उसने मामले की स्टेटस रिपोर्ट जो एक मुहरबंद लिफाफे में पेश की है, उस संदर्भ में उसने अदालत के सामने ‘विरोधाभासी बयान’ दिया।

जब सीबीआई ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का विश्लेषण किया गया है, तब अदालत ने कहा कि इसका जिक्र स्टेटस रिपोर्ट में नहीं किया गया है।

अदालत ने कहा कि सीबीआई को पता होना चाहिए कि उसकी जांच में अभी तक क्या सामने आया है। स्टेटस रिपोर्ट में ब्योरे की कमी से नाराज खंडपीठ ने कहा कि डीआईजी सही तरीके से जांच की निगरानी नहीं कर रहे हैं।

अदालत ने कहा, जब डीआईजी की निगरानी के बावजूद यह हाल है, तब उस स्थिति में क्या होगा, जब कोई निगरानी नहीं होगी ..? हम संबंधित डीआईजी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि वह अपने द्वारा हस्ताक्षरित स्थिति रिपोर्ट को कम से कम पढ़ लें।

खंडपीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एक स्थानीय अदालत ने पिछले साल 15 अक्टूबर को लापता हुए नजीब अहमद के संबंध में आरोपियों के पोलीग्राफ टेस्ट के लिए सीबीआई की याचिका पर 2018 की तारीख दे दी थी।

खंडपीठ ने संबंधित निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस तरह के मामले में लंबी तारीखें नहीं दी जाएंगी।

अदालत ने कहा, हम इस बात से हैरान हैं कि 9 व्यक्तियों के पॉलीग्राफ टेस्ट की रिकॉर्डिग ेकी अनुमति के लिए जो आवेदन दिया गया, उसे सीएमएम (मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट) की अदालत के सामने दर्ज किया गया। टेस्ट के लिए सीबीआई के आवेदन पर तरीख 24 जनवरी, 2018 की दी गई, जिसे सीएमएम ने स्थगित कर दिया .. निचली अदालत ने इतनी लंबी तारीख क्यों दी, इसका कोई कारण नहीं दिया गया, इतने लंबे समय के दौरान पॉलीग्राफ टेस्ट का मकसद व्यर्थ हो जाता है।

अदालत की राय थी कि इस मामले में न केवल आरोपी व्यक्ति (एबीवीपी के छात्र) बल्कि ‘शिकायतकर्ता के परिवार को भी पॉलीग्राफ टेस्ट से गुजरना चाहिए’।

अदालत ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि वास्तव में क्या हुआ था।

उच्च न्यायालय ने 16 मई को सीबीआई से नजीब की गुमशुदगी के मामले की जांच करने को कहा था। नजीब जेएनयू के छात्रावास में कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के साथ विवाद होने के बाद से लापता है।

न्यायालय नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस द्वारा दायर हेबिस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके बेटे को पुलिस और दिल्ली सरकार अदालत के सामने पेश करे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा एबीवीपी ने हालांकि 27 वर्षीय एमएससी प्रथम वर्ष के छात्र नजीब के लापता होने में किसी तरह की भूमिका से इनकार किया है।

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नेशनल

5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे

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मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।

बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी  1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।

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