बिजनेस
नोटबंदी : अर्थव्यवस्था हिली, जीडीपी गिरी, सरकार पर भरोसा घटा
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| नोटबंदी के कारण जहां एटीएम और बैंकों में लंबी-लंबी लाइनें लगी नजर आई, वहीं, लोगों को नकदी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ा।
ऐसे में आजादी के बाद के सबसे बड़े विघटनकारी कदम का अर्थव्यवस्था पर पड़े सूक्ष्म और सामान्य प्रभाव के आकलन के लिए इसकी वर्षगांठ एक उपयुक्त बिंदु है।
हालांकि इसकी लागत का विश्लेषण करना कठिन है, क्योंकि यह पूरी तरह से आर्थिक फैसला नहीं था, यह तथ्य इसकी पुष्टि करता है कि नोट जारी करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इसमेंकोई भूमिका नहीं थी। आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने इसकी पुष्टि की है।
तो फिर नोटबंदी एक आर्थिक फैसले से कहीं अधिक एक राजनीतिक फैसला था, जिसका घोषित उद्देश्य काले धन पर लगाम लगाना तथा आतंकवादियों का वित्त पोषण रोकना बताया गया। वहीं, इसका राजनीतिक लाभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश में इस साल हुए विधानसभा चुनावों में मिला।
आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो मई के अंत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा इस साल मार्च में खत्म हुए चौथी तिमाही के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आंकड़ों में तेज गिरावट दर्ज की गई और यह पिछली तिमाही के 7 फीसदी से घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई। इसके साथ ही पूरे साल के विकास दर के आंकड़ों में भी इसी तरह से गिरावट की उम्मीद की जा रही है। देश की जीडीपी की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 8 फीसदी थी।
योजित सकल मूल्य (जीवीए) के संदर्भ में जिसमें कर शामिल नहीं है, लेकिन सब्सिडी शामिल है, विकास दर में और अधिक गिरावट दर्ज की गई है, जो घटकर 5.6 फीसदी रही।
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन ने मार्च में कहा था कि एक बार जब असंगठित क्षेत्र के आंकड़े सामने आएंगे तो देश की वृद्धि दर 6.5 फीसदी से भी नीचे दिखेगी, जो कि वास्तविक आंकड़ों के करीब है।
इसी समय आरबीआई और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के विकास अनुमानों को घटाते हुए वित्त वर्ष 2016-17 के अनुमान में 1 फीसदी की कटौती कर दी और उसका कारण नोटबंदी को बताया।
यह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अनुमान से ज्यादा दूर नहीं है, जिन्होंने नोटबंदी के अर्थव्यवस्था में दो फीसदी गिरावट की बात कही थी।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने एक नोट में इस साल की शुरुआत में कहा था, चूंकि तिमाही जीवीए के शुरुआती अनुमान संगठित क्षेत्र से उपलब्ध आंकड़ों पर बहुत अधिक निर्भर है, और नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ा है। इसलिए तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीवीए की वृद्धि दर का 6.6 फीसदी के अनुमान में नोटबंदी का असर शामिल नहीं है।
अक्टूबर में आईएमएफ ने कहा कि उसके नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य में साल 2017 और 2018 में भारत की आर्थिक वृद्धि पहले के अनुमानों की तुलना में कम रहेगी। आईएमएफ ने 2017 में भारत की वृद्धि दर 6.7 फीसदी और 2018 में 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें इस साल की शुरुआत में लगाए गए अनुमान में क्रमश: 0.5 फीसदी और 0.3 फीसदी की कटौती की गई है।
विश्व बैंक ने भी भारत के जीडीपी के साल 2015 के 8.6 फीसदी से घटकर 2017 में 7.0 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और इसका कारण नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) को बताया है।
आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन का कहना है कि नोटबंदी से जीडीपी को करीब 1.5 फीसदी का नुकसान है, जिसकी कीमत 2,00,000 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा, नोटबंदी के फायदों में सरकार को 10,000 करोड़ रुपये की आय हुई है, लेकिन वास्तव में आपको लाभ के लिए बहुत अधिक करों की जरूरत है।
नोटबंदी को लोकर शुरू में ही नोबल विजेता अर्थशाी अमर्त्य सेन ने कहा था, यह एक निरंकुश कार्रवाई है जिसने विश्वास के आधार पर खड़ी अर्थव्यवस्था की जड़ों पर प्रहार किया है। यह नोटों पर से भरोसा उठाता है, यह बैंक पर से भरोसा उठाता है और यह संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर भरोसा को कम करता है। यही इसका सार है जो निंदनीय है।
ऐसे में एक साल बाद भी नोटबंदी की कोई गुलाबी तस्वीर नहीं दिखती है, जैसा कि सरकार का चेहरा चमकाने वालों ने दिखाने की कोशिश की थी।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
-
मनोरंजन2 days ago
क्या श्वेता तिवारी ने कर ली है तीसरी शादी, जानें इस खबर की सच्चाई
-
नेशनल2 days ago
धीरेन्द्र शास्त्री की एकता यात्रा आज से शुरू, सीएम मोहन यादव और भोजपुरी सिंगर खेसारी लाल यादव ने भेजी शुभकामनाएं
-
मुख्य समाचार3 days ago
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
-
नेशनल2 days ago
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
-
ऑफ़बीट2 days ago
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
-
ऑफ़बीट1 day ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
खेल-कूद2 days ago
IND VS AUS: पर्थ में भारतीय गेंदबाजों का कहर, बैकफुट पर ऑस्ट्रेलिया, 67 रनों पर गंवाए 7 विकेट
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की जयंती आज, सीएम योगी समेत बड़े नेताओं ने दी श्रद्धांजलि