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बिजनेस

‘एटीएम की जगह नकदी रिसाइकलर्स स्थापित कर रहे बैंक’

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चेन्नई, 7 नवंबर (आईएएनएस)| बैंक सादे एटीएम की जगह अब बहु-प्रणाली मशीनों जैसे नकदी रिसाइकलर्स स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं। एफआईएस पेमेंट सोल्यूशंस एंड सर्विसस प्रोवाइडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हालांकि साल 2016 के सितंबर से 2017 के सितंबर तक एटीएम की संख्या रिसाइकलर्स की तुलना में अधिक बढ़ी है, लेकिन अब बैंक रिसाइकलर्स पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।

एटीएम और एलाइड सर्विसिस की प्रबंध निदेशक राधा राम दुरई ने आईएएनएस को बताया, बैंक अपने एटीएम चैनल की प्रणाली में बदलाव ला रहे हैं। अब वे उन जगहों से अपना एटीएम हटा रहे हैं, जहां उनकी मांग कम है तथा उसे ऐसी जगह ले जा रहे हैं, जहां मांग अधिक है। वहीं, पुरानी एटीएम मशीनों को भी नई बहु-प्रणाली मशीनों (रिसाइकलर्स) से बदला जा रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, देश में बैकों द्वारा स्थापित कुल एटीएम की संख्या सितंबर के अंत तक 2,07,211 है, जबकि साल 2016 के सितंबर तक इनकी संख्या 2,04,062 थी।

रिसाइकलर एटीएम ऐसी मशीनें होती हैं, जिसमें नकदी जमा भी की जा सकती है और वह मशीन उसी नकदी को एटीएम के रूप में इस्तेमाल करती है।

ये मशीनें इसके अलावा नकली या अमान्य नोट की भी पहचान कर सकती हैं और उन्हें छांट कर अलग रख सकती हैं।

राम दुरई ने कहा, सामान्य एटीएम में नकदी को पहचानने की क्षमता नहीं होती है। ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जब एटीएम से नकली नोट निकला है और लोगों को परेशानी के साथ नुकसान का सामना करना पड़ा है।

अमेरिका की नौ अरब डॉलर की कंपनी फिडेलिटी नेशनल इंफरेमेशन सर्विसिस इंक (एफआईएस) वित्तीय सेवा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक प्रमुख वैश्विक कंपनी है, जो खुदरा और संस्थागत बैंकिंग, भुगतान, परिसंपत्ति, परामर्श और आउटसोर्सिग समाधान जैसी सेवाएं मुहैया कराती है। यह कंपनी कई भारतीय बैंकों की 13,000 से अधिक एटीएम का प्रबंधन करती है।

यह कंपनी भारत की तीन शीर्ष भुगतान प्रोसेसर्स कंपनियों में से एक है और इसमें 13,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।

राम दुरई ने यह भी कहा कि बैंक अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड को बदलने की प्रक्रिया में हैं और चिप आधारित कार्ड ला रहे हैं, जिसमें ग्राहकों का डेटा कहीं अधिक सुरक्षित रहता है।

बीटीआई पेमेंट्स प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के. श्रीनिवास ने बताया कि हालांकि एटीएम की कुल संख्या बढ़ रही है, लेकिन बैंक शहरी क्षेत्रों में अब कम एटीएम लगा रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में उसके सहयोगी बैंकों के विलय के बाद से एटीएम की संख्या सुव्यवस्थित हो रही है।

लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी निकालने की मांग बढ़ती जा रही है। क्योंकि सरकार ने सब्सिडी की रकम सीधे किसानों के बैंक खातों में देनी शुरू कर दी है। इसके अलावा और अधिक संख्या में जन धन खाते खोले जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एटीएम से नकदी के लेनदेन में तेजी दर्ज की जा रही है और नकदी की जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली है।

बीटीआई पेमेंट्स एक व्हाइट लेबल एटीएम चलानेवाली कंपनी है, जिसे प्रति लेनदेन के हिसाब से बैंकों से भुगतान प्राप्त होता है। कंपनी के करीब 4,600 एटीएम कियोस्क हैं।

श्रीनिवास ने आगे बताया, व्हाइट लेबल कंपनियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम का प्रसार दो पहलुओं पर निर्भर करता है – प्रति लेनदेन शुल्क और नकद की ब्याज लागत। प्रति लेनदेन शुल्क जहां तीन रुपये से 18 रुपये तक बढ़ा है। इसके अलावा हमें एटीएम के पास के ोत से नकदी लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर एटीएम के पास के बैंक से नकदी मिलती है तो उसके परिवहन की लागत कम होगी।

रिसाइकर्स के बारे में उन्होंने कहा कि ये फिलहाल महंगे हैं और अगर इनकी कीमत छह लाख रुपये तक गिरती है, तभी इसकी व्यवहार्यता बढ़ेगी। एक सामान्य एटीएम की कीमत 2.5 लाख रुपये के करीब होती है।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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