बिजनेस
बाल दिवस पर वोडाफोन बच्चों के लिए लाया है कहानियों का पिटारा
मुंबई, 13 नवंबर (आईएएनएस)| इस बाल दिवस पूरे भारत के बच्चों को ऐसे उपहार मिलने वाले हैं, जो उन्हें आज से पहले कभी नहीं मिले होंगे। चीते की कहानी सुनाने वाली बुजुर्ग महिला, किसी की जिंदगी बचाने वाला कौआ एवं मुश्किलों को हल करने वाला खरगोश, ऐसी अनगिनत कहानियां बच्चों को सुनने को मिलेंगी। वोडाफोन देश भर के बच्चों के लिए कहानियों का अनूठा उपहार लेकर आया है। कहानियां बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हमारे देश के भविष्य, यानि हमारे बच्चों के जीवन पर गहरा असर डालती हैं। कहानियों के बिना हम बचपन की कल्पना नहीं कर सकते लेकिन जिन्दगी की भागदौड़ में कहानी सुनाने की कला गुमनाम हो रही है।
न्यूक्लियर यानि एकल परिवारों के बढ़ते चलन के कारण आज के बच्चे दादा-दादी द्वारा सुनाई जाने वाली कहानियों से वंचित हो गए हैं। आजकल बच्चे रात में अपने दादा-दादी से नहीं बल्कि टेलीविजन या इंटरनेट पर कहानियां सुनते हैं, जो आमतौर पर अन्तरराष्ट्रीय कहानियां होती हैं। ज्यादातर किताबें और परियों की कहानियां भी विदेशों से ताल्लुक रखती हैं। भारत की खूबसरत कथा-कहानियां आज के बच्चों को सुनने को नहीं मिलती, जिन्हें सुनकर हम सभी बड़े हुए हैं।
भाग्य से ये कहानियां आज भी मौजूद है। हमारे देश के लाखों बुजुर्गों में आज भी हमारी यह विरासत बरकरार है।
वोडाफोन ने इन्हें आज की पीढ़ी के बच्चों तक पहुंचाने की अनूठी पहल की है। वोडाफोन हमेशा से नई तकनीक एवं डिजिटल सेवाओं के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने तथा आगामी वर्षों में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहा है।
कनेक्टिविटी से जुड़ा ब्राण्ड होने के नाते वोडाफोन ने बुजुर्गों की इन कहानियों को ढूंढने और इन्हें नई पीढ़ी के बच्चों तक पहुंचाने का फैसला लिया, जो इन कहानियों से कोसों दूर हो चुके हैं।
यह विचार लॉन्ग टर्म एजेन्सी पार्टनर मैक्सस (अब वेवमेकर) तथा ओ एण्ड एम द्वारा पिछले साल आयोजित वोडाफोन कॉन्टेस्ट डे से उभरा। एक इंटीग्रेटेड एजेन्सी एवं कन्टेन्ट एक्सपर्ट वॉट्स यॉर प्रॉबलम ( डब्ल्यूवाईपी ब्राण्ड सोल्यूशन्स प्रा लिमिटेड) ने हैशजिफ्टएस्टोरी की अवधारणा पेश की।
डब्ल्यूवाईपी ने एक कम्पनी स्टोरीवालाज के सहयोग से इस विचार को जीवंत रूप दिया। स्टोरीवालाज कहानी सुनाने की कला को बरकरार रखने हेतू समर्पित है। वे देश भर से भारत के सर्वश्रेष्ठ कहानीकारों को ढूंढने के लिए वृद्धाश्रमों एवं हाउसिंग सोसाइटियों में ऑडीशन भी आयोजित करते हैं, जिसके माध्यम से कहानी सुनाने की कला में निपुण दादा-दादी की पहचान की जाती है, उन्हें स्टोरीवालाज की मदद से वोडाफोन की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कहानी कला में प्रशिक्षण दिया जाता है।
चुने गए बुजुर्गों में 91 साल की गुजराती स्वतन्त्रता सेनानी रमा खंडवाला शामिल हैं जो सुभाष चन्द्र बोस की सेना का हिस्सा रह चुकी हैं। इसी तरह सेवानिवृत स्कूल अध्यापिका हिसिथ डीसूजा जिनके पोता-पोती अमेरिका में रहते हैं। डीसूजा अब ज्यादातर समय बच्चों के लिए कठपुतलियां बनाने में बिताती हैं।
इन बुजुर्गों में 73 वर्षीय वृद्धाश्रम निवासी डेलफिन शामिल हैं, जो क्रैच चलाती थीं और उन्होंने अपना पूरा जीवन बच्चों को खूब स्नेह दिया। 60 वर्षीय संतानिल गांगुली तथा श्री एवं श्रीमती जयंत (क्रमश: 68 वर्षीय सेवानिवृत स्कूल अध्यापक एवं 75 वर्षीय इंजीनियर), 63 वर्षीय ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती झेलम परांजपे जिनके अपने खुद के पोता-पोती नहीं हैं लेकिन उनके समुदाय के सभी बच्चे उन्हें ‘दादी’ कहकर पुकारते हैं।
वोडाफोन के नेटवर्क एवं वीडियो कॉलिंग फीचर के माध्यम से इन कहानीकारों को देश भर के स्कूली बच्चों के साथ लाईव जोड़ा गया। जिन्होंने बच्चों को खूबसूरत कहानियां सुनाईं। इस दौरान छिपे हुए कैमरों की मदद से डिजिटल वीडियो बनाए गए।
इस तरह वीडियो कॉल के माध्यम से ऑडीशन, प्रशिक्षण एवं लाईव परफोर्मेन्स द्वारा वोडाफोन ने अपनी इस अनूठी पेशकश को बच्चों तक पहुंचाया। बाल दिवस के मौके पर मुवमेन्ट हैशजिफ्टएस्टोरी के साथ इस वीडियो को जारी किया गया। वीडियो इस वाक्यांश के साथ समाप्त होता है ‘जिफ्ट ए स्ओरी – गर्ल चाइल्डहुड’ व्हाट बेटर जिफ्ट देन दैट? अर्थात बच्चों को दें कहानी का उपहार, बचपन के लिए इससे बेहतर उपहार और क्या होगा?
प्रादेशिक
एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन
मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।
शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।
उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।
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