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बिजनेस

बल्ब खरीदते वक्त 21 फीसदी को ही आंखों की चिंता : सर्वेक्षण

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नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| जहां दो-तिहाई भारतीय इस बात से सहमत हैं कि रोशनी की गुणवत्ता खराब होने से उनकी आंखों को खतरा है, लेकिन केवल 21 फीसदी लोग ही बल्ब खरीदते समय यह ध्यान रखते हैं कि यह उनकी आंखों के लिए आरामदायक होगा या नहीं।

यहां एक सर्वेक्षण में बुधवार को यह जानकारी सामने आई है। फिलिप्स लाइटिंग सर्वेक्षण के मुताबिक ज्यादातर भारतीय लोगों के लिए आंखों की देखभाल, त्वचा की देखभाल और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों जैसे वजन घटाना या फिटनेस का स्तर बढ़ाना, जितना भी महत्वपूर्ण नहीं है।

यह सर्वेक्षण भारत समेत 12 देशों में 9,000 वयस्क प्रतिभागियों पर किया गया। इसमें पता चला कि बल्ब की खरीदारी के वक्त 50 फीसदी लोग आंखों की सुविधा की बजाए कीमत को तथा 48 फीसदी लोग बल्ब की मजबूती की तवज्जो देते हैं।

कंपनी ने बयान में कहा, हमारे जीवन में डिजिटल प्रौद्योगिकी के आक्रमण को देखते हुए, यह स्थिति चिंताजनक है। क्योंकि करीब 70 फीसदी भारतीय रोज 6 घंटे से ज्यादा वक्त चमकीली स्क्रीन के आगे बिताते हैं और इतने ही फीसदी लोग आंखों की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

कंपनी ने कहा कि यह परिणाम ऐसे समय आए हैं जब दुनियाभर में निकट ष्टि दोष रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा व्यक्त अनुमान कि 2050 तक प्रत्येक दो में से एक व्यक्ति दूर दृष्टि दोष से ग्रसित होगा के साथ, भविष्य में नहीं बल्कि तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुमित जोशी ने कहा, गुणवत्तापूर्ण प्रकाश न केवल दीर्घायु से संबंधित है, बल्कि यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है जब हमारी आंखों को तनावमुक्त रखने को सुनिश्चित करने और आरामदायक महसूस कराने की बात आती है। लोगों को उच्च गुणवत्ता वाले लैम्प का चुनाव करना चाहिए जो उनकी आंखों के लिए सहज हैं।

बयान में कहा गया कि नेत्र रोग विशेषज्ञ इस स्थिति की गंभीरता को समझते हैं और आम जनता को उनकी आंखों की देखभाल के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हर कदम उठा रहे हैं।

ऑल इंडिया ऑप्थैल्मोलॉजी सोसाएटी के अध्यक्ष और कमल नेत्रालय, बेंगलुरु के डा. केएस संथन गोपाल ने कहा जनता को आंखों की देखभाल के प्रति लगातार शिक्षित करने की जरूरत है। इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए, ऑल इंडिया ऑप्थैल्मोलॉजी ने जनता के बीच नेत्र शिक्षा को बढ़ाने के लिए सक्रियता से सामुदायिक आधारित कार्यक्रम, दिशा-निर्देश और संसाधन विकसित किए हैं।

अध्ययन के परिणामों के मुताबिक, 44 प्रतिशत भारतीय नियमित तौर पर नेत्र विशेषज्ञ के पास नहीं जाते हैं, जबकि तकरीबन तीन चौथाई भारतीय स्वास्थ्य के समग्र संकेतक के रूप में औसत तौर पर वजन (73 प्रतिशत) और फिटनेस (60 प्रतिशत) पर ध्यान देते हैं।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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