अन्तर्राष्ट्रीय
रोहिंग्या वापसी संधि को मानवाधिकारसमूह ने खारिज किया
नेपेडा, 24 नवंबर (आईएएनएस)| मानवाधिकारों की रक्षा से संबंधित कार्य से जुड़ा संगठन ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के बीच समझौते को ‘हास्यास्पद’ बताते हुए शुक्रवार को इसे खारिज कर दिया। एचआरडब्ल्यू के बिल फ्रेलिक ने कहा, छह लाख 20 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों का पलायन सामुदायिक उत्पीड़न की घटनाओं के कारण हुआ है, जोकि हाल के दिनों में घटित होने वाला एक अत्यंत बर्बर मामला है। अब इन घटनाओं की सुलगती आग के बीच बांग्लादेश जो लोगों की वापसी की बात करता है वह हास्यास्पद है।
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, बांग्लादेश और म्यांमार ने एक आशय ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत बलवाई समूह के हमले और म्यांमारी सेना की ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद 25 अगस्त से म्यांमार से विस्थापित हुए लोगों की वापसी का रास्ता खुलता है।
म्यांमार की स्टेट काउंसलर और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि ज्ञापन में राखिने से विस्थापित लोगों की विधिवत जांच व उनकी वापसी के लिए आम मार्गदर्शक सिद्धांत व नीतियों की व्यवस्था शामिल है।
फ्रेलिक ने इस द्विपक्षीय समझौते को जनसंपर्क का एक तमाशा करार दिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह स्पष्ट करने की अपील की है कि शरणार्थियों की वापसी उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय निगरानी के बिना नहीं हो।
हालांकि म्यांमार और बांग्लादेश दोनों में से किसी भी देश के अधिकारियों ने समझौते का कोई विवरण स्पष्ट नहीं किया है और न ही यह बताया है कि कब छह लाख 22 हजार शरणार्थियों की वापसी कब शुरू होगी।
उधर म्यांमार की ओर से कहा गया है कि वह शरणार्थियों की वापसी को लेकर उत्सुक है, मगर यह तभी संभव होगा जब उनकी पहचान, उनके मूल स्थान का निर्धारण कर लिया जाए। साथ ही, इस तरह की सूचनाओं को दोनों देशों के बीच साझा किया जाएगा।
गौरतलब है कि रोहिंग्या समुदाय का हालिया पलायन म्यांमार की सेना की ओर से वहां विद्रोहियों के खिलाफ शुरू की गई सैन्य कार्रवाई के बाद आरंभ हुआ है। सेना की कार्रवाई राखिने में विद्रोही समूह अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी की ओर से 30 सैनिकों व पुलिस चौकियों पर हमले के बाद शुरू हुई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।
इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।
जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।
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