1-मणिशंकर अय्यर का ‘नीच’ वाला बयान
पहले चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले कांग्रेस की तरफ से एक ऐसी गलती की गई, जिसने गुजरात में पूरी चुनावी बयार ही बदल गई। दरअसल, कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पहले चरण के चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले एक बयान में पीएम मोदी को ‘नीच व्यक्ति’ बता दिया।
इस बयान के बाद गुजरात में जमकर उठापटक मची। पीएम मोदी ने मणिशंकर अय्यर के नीचता वाले बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़ते हुए जनता से भाजपा के लिए वोट मांगे थे। कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर को पार्टी से बर्खास्त कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन तब तक पीएम मोदी, नीचता के बयान को गुजरात के घर–घर तक पहुंचा चुके थे।
2-राम मंदिर का मुद्दा
गुजरात चुनाव में 2002 के बाद से ही हिंदुत्व हमेशा ज्वलंत मुद्दा रहा है। इस बार कांग्रेस इस मुद्दे से बचते हुए विकास, जीएसटी और नोटबंदी पर जनता के आक्रोश को चुनावी सभाओं में उछाल रही थी, लेकिन इस बीच 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने 2019 चुनाव तक राम मंदिर मामले को टालने की अपील कर दी। मामले में कपिल सिब्बल का यह बयान कांग्रेस के लिए बुरा और भाजपा के लिए संजीवनी सिद्ध हुआ।
पीएम मोदी समेत सभी भाजपा नेताओं ने सिब्बल के इस बयान को गुजरात चुनावों में रातों रात भुना लिया। कहना गलत नहीं होगा कि सिब्बल के बयान को भाजपा ने अपने पक्ष में मोड़ने की जो कवायद की उसका चुनाव में पार्टी को भरपूर फायदा मिला।
3. सोमनाथ मंदिर में ‘गैर-हिंदू’ एंट्री को बनाया मुद्दा
गुजरात चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने कई मंदिरों की चौखट पर माथा टेकना शुरू कर दिया था। राहुल के मंदिर दर्शन करने से भाजपा नेताओं के पेशानी पर बल पड़ गए थे। राहुल गांधी का इस तरह मंदिरों में जाना भाजपा को परेशान कर रहा था लेकिन सोमनाथ मंदिर में राहुल गांधी के दर्शन ने भाजपा को उन्हें घेरने का एक मौका दे दिया।
दरअसल, मंदिर में दर्शन के दौरान गुजरात कांग्रेस के मीडिया प्रभारी, मनोज त्यागी ने राहुल गांधी की एंट्री गैर-हिंदू रजिस्टर में कर दी। इस पर विवाद हो गया। भाजपा ने राहुल गांधी किस धर्म के अनुयायी है, इसे लेकर ही धर्म को कटघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेस ने बाद में राहुल गांधी को जनेऊधारी हिंदू बताकर बढ़त लेने की कोशिश की, लेकिन भाजपा ने जनेऊ मुद्दे पर भी कांग्रेस को बैकफुट पर लाकर खड़ा किया।