बिजनेस
ऋणदाता फंसे हुए कर्ज में छूट दें : जेटली
नई दिल्ली, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)| बैंक और ऋणदाताओं को चाहिए कि वे अपने फंसे हुए कर्जो की समस्या सुलझाने के लिए कर्जदारों को कर्ज में छूट दें, ताकि कर्जदार प्रमोटर्स अपना कारोबार दोबारा शुरू कर सकें और बकाए कर्ज का ब्याज चुका सकें। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में शुक्रवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) संशोधन विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए यह बात कही। यह संशोधन इसलिए लाया जा रहा है, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
जेटली ने कहा, कामकारों, ऋणदाताओं, बैंकों, असुरक्षित ऋणदाताओं.. सभी को चाहिए कि वे कर्ज में छूट दें, ताकि समाधान प्रक्रिया न्यायसंगत हो। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज 8.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
जेटली के पास कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय भी है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि यदि फंसे हुए कर्ज के बकाया ब्याज का भुगतान कंपनियां कर देती हैं, तो उन्हें अपने कारोबार के परिचालन से रोका नहीं जाएगा।
वहीं, लोकसभा में शुक्रवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन का विधेयक पारित कर दिया गया, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। यह पहले पारित अध्यादेश की जगह लेगा।
आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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