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बिजनेस

बैंक ऑफ इंडिया को सरकार से मिले 2257 करोड़ रुपये

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मुंबई, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| सरकारी बैंक बीओआई (बैंक ऑफ इंडिया) ने शनिवार को कहा कि उसने सरकार से 2,257 करोड़ रुपये की पूंजी प्राप्त की है। बैंक ने बीएसई में नियामकीय दाखिले में कहा, बैंक ने 29 दिसंबर को सामान्य इक्विटी स्तरीय-1 पूंजी के रूप में भारत सरकार से 2,257 करोड़ रुपये की पूंजी प्राप्त की है, जिसे शेयर आवेदन रकम के रूप में रखा जा रहा है और उचित प्रक्रिया/शर्तों के तहत आवंटित किया जाएगा।

सरकार ने 24 अक्टूबर को फंसे हुए कर्ज (एनपीए) से प्रभावित सरकारी बैंकों को मजबूती प्रदान करने के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की पुनर्पूंजीकरण योजना को मंजूरी दी थी।

बीएसई में नियामकीय दाखिले में कहा गया है, यह वित्त पोषण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग की शर्तो पर किया गया है।

शुक्रवार को बीएसई में बैंक के शेयरों में 0.24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 169.70 रुपये पर बंद हुआ।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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