बिजनेस
चालू सत्र के प्रथम 3 महीनों में चीनी उत्पादन 26 फीसदी बढ़ा
नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)| चालू गन्ना पेराई सत्र 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती तीन महीनों में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले देश में चीनी उत्पादन में 26 फीसदी इजाफा हुआ है। चीनी उद्योग का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की ओर से बुधवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार 31 दिसंबर तक देशभर में चालू 485 चीनी मिलों में कुल 103.26 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था, जोकि पिछले साल की समान अवधि से 26 फीसदी ज्यादा है। हालांकि 15 दिसंबर तक के चीनी उत्पादन आंकड़ों में इस साल पिछले साल के मुकाबले उत्पादन 30 फीसदी ज्यादा हुआ था। पिछले साल शुरुआती तीन महीनों में 441 चीनी मिलों की ओर से कुल 81.91 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था।
इस्मा ने 2017-18 में 251 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है, जोकि पिछले साल से 48 लाख टन ज्यादा है, जिसमें 21.35 लाख टन का इजाफा दिसंबर तक हो चुका है। बाकी 27 लाख टन अगले तीन-चार महीनों में होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन सात लाख टन और महाराष्ट्र में 13 लाख टन बढ़ा है। 48 लाख टन की बढ़ोतरी में इस साल दोनों राज्यों का योगदान क्रमश: 13 और 32 लाख टन रह सकता है।
पिछले साल गो की फसल कम रहने के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ा था। पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 203 लाख टन हुआ था।
महाराष्ट्र की 180 मिलें चालू हैं, जिनमें कुल 38.24 लाख टन चीनी का उत्पादन 31 दिसंबर तक हो चुका है। पिछले साल की समान अवधि में 120 मिलों द्वारा 25.35 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। जबकि राज्य में इस साल रिकवरी रेट पिछले साल के 10.29 फीसदी के मुकाबले 10.23 फीसदी है।
उत्तर प्रदेश की 116 चीनी मिलों ने 33.80 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल 31 दिसंबर तक इतनी ही मिलों में उत्पादन हो रहा था, मगर कुल उत्पादन 26.78 लाख टन हुआ था। इस साल रिकवरी पिछले साल के 9.87 फीसदी के मुकाबले 10.51 फीसदी आ रही है। कर्नाटक की 62 चीनी मिलों में 18.17 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल के 15.43 लाख टन से ज्यादा है।
गुजरात की 17 मिलों ने 3.70 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल 31 दिसंबर तक राज्य में 3.62 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की 21 चीनी मिलों में 1.90 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले साल 25 मिलों द्वारा किए गए उत्पादन से 0.16 लाख टन कम है।
तमिलनाडु में 31 दिसंबर तक 20 मिलें चल रही थीं और कुल उत्पादन 1.70 लाख टन था, जबकि पिछले साल 34 मिलों द्वारा 1.86 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। 31 दिसंबर तक बिहार में चीनी उत्पादन 1.65 लाख टन, हरियाणा में 1.80 लाख टन, पंजाब में 1.60 लाख टन, उत्तराखंड में 1.20 लाख टन और मध्यप्रदेश में 1.30 लाख टन हो चुका था।
गौरतलब है कि पिछले साल चीनी का उत्पादन कम होने से आपूर्ति में कमी की पूर्ति व कीमतों को काबू में रखने के मकसद से केंद्र सरकार ने सितंबर 2017 में तीन लाख टन कच्ची चीनी के आयात को मंजूरी दी थी, जिसमें सिर्फ 2.35 लाख टन का ही आयात किया गया, जिससे दो लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया।
इस साल पेराई सत्र के आरंभ में एक अक्टूबर 2017 को 38.76 लाख टन चीनी पिछले साल की बची हुई थी। अब 251 लाख टन उत्पादन अनुमान और दो लाख टन आयात के साथ 2017-18 में कुल आपूर्ति 191.76 लाख टन रह सकती है, जबकि देश में कुल खपत 250 लाख टन रहने का अनुमान है। इस तरह क्लोजिंग स्टॉक तकरीबन 42 लाख टन रह सकता है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की रपट के मुताबिक, चीनी कारोबारियों की ओर से खरीददारी में दिलचस्पी लेने से पिछले कुछ दिनों में देश के उत्तरी व पश्चिमी हिस्सों में चीनी के दाम में 30 से 100 रुपये प्रति कुंटल का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि दो महीने से चीनी के भाव में काफी गिरावट आ चुकी थी।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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