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नेशनल

सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य आतंकवाद पर चयनात्मक : भारत

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संयुक्त राष्ट्र | भारत ने सुरक्षा परिषद को स्थायी सदस्यों का गैर-लोकतांत्रिक संगठन करार दिया है, साथ ही इन सदस्य देशों पर आरोप लगाया है कि ये अपने राष्ट्रीय हितों के अनुकूल इस संस्था के सिद्धांत तय करते हैं और आतंकवाद से निपटने के मामले में इनका रवैया चयनात्मक होता है। सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि सुरक्षा परिषद 9/11 के मद्देनजर पारित किए गए प्रस्ताव के क्रियान्वयन के लिए कड़े कदम उठाने में नाकाम रहा है, जिसके तहत सभी देशों पर आतंकवाद के खिलाफ काम करने की बाध्यता है।

उन्होंने कहा, “जघन्य आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को सूचीबद्ध किया जाना शक्तिशाली देशों की मर्जी पर निर्भर करता है। सूचीबद्ध व्यक्तिों और संगठनों द्वारा प्रतिबंधों का सार्वजनिक तौर पर उल्लंघन किए जाने के बावजूद उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाए गए।” मुखर्जी सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर केंद्रित ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने’ पर आयोजित एक चर्चा में बोल रहे थे। परिषद के चैम्बर में गोलमेज पर चारों ओर बैठे सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के बीच उन्होंने उनके लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति बचनबद्धता का सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “यह अजीब है कि परिषद में लोकतंत्र और कानून की दुहाई दी जाती है, लेकिन यह खुद कुछ विशेषाधिकार प्राप्त देशों का गैर-लोकतांत्रिक गढ़ बन गया है।”

मुखर्जी ने कहा, “लोकतंत्र का तर्क और विश्वभर में लोगों के दुख को देखते हुए परिषद में तत्काल सुधार की जरूरत है। अगर हमें इतिहास से सही सीख लेनी है तो हमें इसी साल इस पर काम करना होगा।” भारत सुरक्षा परिषद में सुधार करने और स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाते हुए इसे अधिक प्रतिनिधित्वकारी बनाने की मांग करता रहा है, जिसके स्थायी सदस्यों में अभी सिर्फ चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका हैं, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के विजेता माने जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संख्या 1945 में इसकी स्थापना के वक्त 51 थी जो आज बढ़कर 193 हो गई है, लेकिन सुरक्षा परिषद में गैर स्थायी सदस्यों में सिर्फ चार को ही जोड़ा गया है।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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