बिजनेस
प्रत्यक्ष कर संग्रह 18 फीसदी बढ़ा
नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)| चालू वित्त वर्ष में अप्रैल और दिसंबर के बीच देश का प्रत्यक्ष कर संग्रह 6.56 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 18.2 फीसदी अधिक है। मंगलवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि दिसंबर 2017 तक हुए प्रत्यक्ष कर संग्रह के अनंतिम आंकड़ों से पता चला है कि इस दौरान 6.56 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध संग्रह हुआ है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुए शुद्ध संग्रह की तुलना में 18.2 फीसदी अधिक है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक, प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्त वर्ष 2017-18 के लिए प्रत्यक्ष करों के कुल बजट अनुमानों (9.8 लाख करोड़ रुपये) का 67 फीसदी है। अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह (रिफंड के लिए समायोजन से पहले) 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7.68 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान 1.12 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं।
दिसंबर 2017 तक अग्रिम कर के रूप में 3.18 लाख करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में अदा किए गए अग्रिम कर की तुलना में 12.7 फीसदी अधिक है। कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) से जुड़े अग्रिम कर में 10.9 फीसदी और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) से जुड़े अग्रिम कर में 21.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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