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बिजनेस

रियल एस्टेट आ सकता है जीएसटी के अधीन : विशेषज्ञ

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मुंबई, 16 जनवरी (आईएएनएस)| संपत्ति के लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद आगामी एक अप्रैल से रियल एस्टेट क्षेत्र को एकीकृत अप्रत्यक्ष कर शासन जीएसटी के दायरे में ला सकती है।

एक विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी है। सीबीईसी (केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड) के पूर्व-सदस्य वी. एस. कृष्णन ने बिजनेस न्यूज चैनल बीटीवीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, इसे एक अप्रैल से लागू किया जा सकता है, और इसे लागू करने के लिए विधायी परिवर्तन इसी सत्र (बजट) में किया जा सकता है।

कृष्णन ने कहा कि एक समन्वित सेवा के रूप में इस क्षेत्र को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।

कृष्णन ने बीटीवीआई से कहा, जमीन कोई सेवा नहीं हो सकती, लेकिन आवासीय निर्माण के लिए आपके पास भूमि का अधिकार हो सकता है.. इसलिए इसे एक सेवा के रूप में माना जा सकता है।

उन्होंने कहा, इसके जीएसटी में शामिल होने से समूचा लेनदेन पारदर्शी हो जाएगा.. इसका मतलब है कि नोटबंदी के बाद की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है.. संगठित कंपनियां इसका स्वागत करेंगी।

कृष्णन ने आगे कहा कि क्षेत्र पर लागू की जानेवाली जीएसटी दरें ज्यादा अधिक नहीं होंगी, क्योंकि रियल एस्टेट क्षेत्र किफायती आवास से जुड़ा है।

उन्होंने कहा, सरकार इस क्षेत्र पर 12 फीसदी जीएसटी लागू कर सकती है। इससे विदेशी निवेशकों को भी इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली में गुरुवार को होनेवाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस पर चर्चा की जा सकती है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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