Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

बिजनेस

गन्ना उत्पादकों का बकाया 9 हजार करोड़ रुपये चिंता का विषय : एनएफसीएसएफ

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)| चीनी की कीमतों में गिरावट से भले ही उपभोक्ता को सस्ती चीनी में ज्यादा मिठास का अनुभव हो रहा हो, लेकिन गन्ना उत्पादक किसानों के लिए एक बार फिर यह कड़वा अनुभव देने वाला साबित हो सकता है। चालू गन्ना पेराई वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है और चीनी मिलों के सामने नकदी का संकट पैदा हो गया है जिससे किसानों को गो की कीमतों का भुगतान नहीं हो रहा है।

सहकारी चीनी मिलों का शीर्ष संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे बुधवार को आईएएनएस को बताया कि मंगलवार शाम तक देशभर की चीनी मिलों पर इस सत्र में किसानों खरीद किए गए गो के एवज में भुगतान की जाने वाली राशि का बकाया 9,576 करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 3,940 करोड़ रुपये है।

चीनी उद्योग की खराब सेहत के बारे में आईएएनएस से बातचीत में नाइकनवरे ने कहा, चिंता का विषय यह नहीं है कि इस साल चीनी का उत्पादन ज्यादा है क्योंकि 260 लाख टन उत्पादन के अनुमान का आंकड़ा कोई बहुत बड़ा नहीं है। हमारी सालाना खपत भी 250 लाख टन के आसपास है। किसानों को समय पर गो का भुगतान नहीं होना और उनका बकाया उत्तरोत्तर बढ़ता जाना हमारे लिए ज्यादा गंभीर चिंता की बात है।

उन्होंने कहा कि चीनी के भाव में गिरावट होने से मिलों के सामने नकदी की समस्या पैदा हो गई है जिससे किसानों को गो का भुगतान समय से नहीं हो पा रहा है और उनका बकाया बढ़ता जा रहा है। नाइकनवरे के मुताबिक, चालू सत्र में चीनी की कीमतों में उत्तर प्रदेश में 15 फीसदी गिरावट आई है। वहीं महाराष्ट्र में चीनी के भाव में 16 फीसदी, कर्नाटक में 17 फीसदी और तमिलनाडू में 12 फीसदी की गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि एथेनॉल और मोलैसिस यानी शीरा से भी चीनी मिलों की लागत की भरपाई नहीं हो पा रही है।

नाइकनवरे ने कहा कि वर्ष 2017-18 में निश्चित रूप से मांग के मुकाबले आपूर्ति 50 लाख टन ज्यादा है लेकिन 10-20 लाख टन निर्यात हो जाने पर आपूर्ति आधिक्य की समस्या नहीं रहेगी।

उन्होंने कहा, इस साल हमने 260 लाख टन चीनी उत्पाद का अनुमान लगाया है और 40 लाख टन पिछले साल का स्टॉक है। इस प्रकार आपूर्ति 300 लाख टन है जबकि मांग 250 लाख है। इस साल के अंत में हमारे पास 50 लाख टन अंतिम स्टॉक बचेगा, लेकिन चीनी निर्यात एवं बफर स्टॉक को लेकर हमारी सरकार से बात चल रही है। हम चीन, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और श्रीलंका को चीनी निर्यात कर सकते हैं।

नाइकनवरे के मुताबिक, 2006-07 में सरकार ने 50 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक किया था, अगर इस बार भी सरकार 20 लाख चीनी का बफर स्टॉक कर लेती है तो कीमतों में गिरावट की समस्या नहीं रहेगी और चीनी मिलों का संकट दूर हो जाएगा।

पाकिस्तान से चीनी आयात के विषय पर नाइकनवरे ने कहा कि 2000 टन चीनी पाकिस्तान से आई थी, लेकिन यह अक्टूबर की ही बात है। उन्होंने कहा, इस समय चीनी पर आयात कर 50 फीसदी और निर्यात कर 20 फीसदी है। मौजूदा दर पर पाकिस्तान से चीनी आयात हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान ने 11.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चीनी पर सब्सिडी दी है और यह और भी सस्ती हो जाएगी जब सिंध्र प्रांत की ओर से प्रस्तावित 7.50 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी इसमें जुड़ जाएगी। यही कारण है कि हम सरकार से चीनी पर आयात कर बढ़ाकर 100 फीसदी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चीनी निर्यात को सुगम बनाने के लिए सरकार से निर्यात कर भी समाप्त करने की मांग की गई है।

चालू गन्ना पेराई वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में देशभर में चालू 504 चीनी मिलों में 15 जनवरी 2018 तक 135.37 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।

Continue Reading

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending