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गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में दिखा देशभक्ति का जज्बा

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नई दिल्ली, 26 जनवरी (आईएएनएस)| देश के 69वें गणतंत्र दिवस पर शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चारों ओर देशभक्ति का जज्बा देखने को मिला। जहां एक तरफ लोग तिरंगे पहनावे में लिपटे दिखे तो वहीं सड़कों पर निकले वाहनों में तिरंगा लहरा रहे थे।

यही नहीं युवाओं ने सोशल मीडिया साइटों पर अपनी देशभक्ति का जज्बा जाहिर किया और ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रिपब्लिकडे2018 हैशटैग के साथ उन्होंने देश के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट की।

युवाओं ने अपने प्रोफाइल पिक्च र्स पर तिरंगे फ्रेम लगाए और चेहरों पर तिरंगा बनाए सेल्फी उतारी और उसे अपलोड किया।

सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी वाले तिरंगा बैंड, झंडे और टोपियां बेचते देखे गए। कुछ लोगों ने बाहों पर तिरंगी पट्टियां बनवाई। कई लोगों के चेहरे तिरंगे देखे गए।

देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी हुआ था, और इसी के उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।

अपने चेहरे पर तिरंगा बनाए 11 वर्षीय तन्मय ने आईएएनएस से कहा, आज के ही दिन हमें हमारा संविधान मिला था। हम उसी का जस्न मना रहे हैं।

शॉपिंग मॉल और बाजार तिरंगे रंगे दिखे और कई स्थानों पर देशभक्ति के गीत बजते हुए सुने गए।

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा श्रृंखला जैन (21) ने कहा, वंदे मातरम की तेज ध्वनि कानों में गई और मेरी नींद खुल गई। कुछ लोगों का एक समूह सड़क से गुजर रहा था और वे वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे।

राष्ट्रपति भवन और संसद भवन सहित सरकारी इमारतों को गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले ही सजावटी बत्तियों से सजा दिया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर कारों, ऑटो रिक्शा और साइकिलों पर लोगों को तिरंगा लगाए जाते देखा गया।

हजारों की संख्या में पुरुषों, महिलाओं ने सुबह की तेज ठंड को दरकिनार कर राजपथ पर आयोजित वार्षिक परेड का दीदार किया।

इस साल के परेड में देश की सैन्य शक्ति और बौद्धिक शक्ति से संबंधित कई झाकियां पहली बार प्रदर्शित की गईं।

इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में बतौर मुख्य अतिथि 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित थे।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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