बिजनेस
आर्थिक सर्वेक्षण : एनपीए समाधान, जीएसटी से बढ़ेगा जीडीपी
नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या डूबे हुए ऋणों का समाधान और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को लागू करना ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनसे भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में इजाफा होगा और जीडीपी विकास दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में 6.75 फीसदी रह सकती है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह बात सोमवार को लोकसभा में वर्ष 2017-18 का आर्थिक सव्रेक्षण पेश करते हुए कही। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों के लिए पुनर्पूंजीकरण योजना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को हाल ही में आसान बनाए जाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच भारत के निर्यात में इजाफा होने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और जीडीपी विकास दर बढ़कर 6.5 फीसदी रह सकती है, जोकि पिछले महीने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की ओर से जारी अनुमान से अधिक है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा, दोहरे तुलन पत्र (टीबीएस) में बढ़ोतरी की चुनौती को हासिल करने के लिए निर्णायक फैसले लिए गए। टीबीएस में चार ‘आर’ शामिल हैं, जो मान्यता, समाधान, पुनर्पूजीकरण और सुधार के द्योतक हैं। मान्यता को अधिक प्रगतिशील बनाया गया और अन्य दो ‘आर’ का समाधान करने की कोशिश की गई।
आर्थिक सवेक्षण में उल्लेख किया गया है कि नए ऋणशोधन व दिवालिया संहिता (आईबीसी) में समाधान की एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जिससे निगमों को अपने बही खातों को दुरुस्त करने और कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, सरकार ने एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बही खातों को सुदृढ़ बनाने के लिए पुनर्पूजीकरण पैकेज (जीडीपी का करीब 1.2 फीसदी) की घोषणा की है।
इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के 10 साल के कार्यकाल में तेजी के दौरान भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एनपीए की जड़ गहरी हो गई, जब यह आश्चर्यजनक ढंग से बढ़कर करीब नौ लाख करोड़ रुपये हो गई।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नए ऋणशोधन व दिवालिया संहिता के तहत 12 खातों के समाधान का जिक्र किया है, जिसकी कुल राशि सकल एनपीए का 25 फीसदी है।
सरकार ने डूबे हुए कर्ज को लेकर द्विआयामी रणनीति अपनाई है। एक तरफ, सरकार ने आईबीसी को अमल में लाया है, जिसके तहत छह माह की अवधि के लिए ऋणशोधन समाधान की प्रक्रिया शुरू की गई है, तो दूसरी तरफ सरकार ने सरकारी बैंकों के पुनर्पूजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि बैंकों को एनपीए की समस्या के समाधान के लिए अपने डूबे हुए कर्ज के 60 फीसदी की कटौती करनी होगी।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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