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सीलिंग मुद्दे पर व्यापार मंडल अदालत जाने की तैयारी में

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नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा दिल्ली नगर निगम के जरिए व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर की जा रही सीलिंग की कार्रवाई के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील किए जाने की तैयारी शुरू कर दी है।

फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री वीके बंसल ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार चाहती तो सीलिंग कार्रवाई को रोकने के लिए वह पिछले महीने ही अध्यादेश ला सकती थी। लेकिन उसने इस मुद्दे को जानबूझकर नजरअंदाज कर व्यापारियों को राजनीति का शिकार होने के लिए छोड़ दिया। यही कारण है कि कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स, जिनके नेता भाजपा से जुड़े हुए हैं, वे सीलिंग से व्यापारियों को राहत दिलाने के नाम पर सिर्फ दिल्ली व्यापार बंद का नाटक कर रहे हैं जबकि व्यापार बंद करने से यह समस्या हल होने वाली नहीं है यब बात सभी को पता है।

बंसल ने कहा कि यदि कैट के नेता वास्तव में व्यापारियों को सीलिंग से राहत दिलाना चाहते हैं तो सबसे पहले प्रवीण खंडेलवाल को भाजपा से इस्तीफा देना चाहिए। यही नहीं सीलिंग से लड़ाई के नाम पर व्यापारियों से किसी भी प्रकार की उगाही भी नहीं होनी चाहिए।

फेडरेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीए राजेश्वर पैन्युली ने कहा कि भाजपा की तरह ही दिल्ली की आप सरकार भी सीलिंग के मामले में सिर्फ राजनीति कर रही है और उनके समर्थन वाले व्यापार मंडल भी इस तरह का दिखावा कर रहे हैं जैसे वे व्यापारियों के बड़े हमदर्द हैं।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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