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बिजनेस

दुनिया भर में 2017 में 2.28 अरब मोबाइल, टैबलेट बिके : गार्टनर

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नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| साल 2018 में दुनिया भर में कुल 2.32 अरब डिवाइसेज की बिक्री होगी, जिसमें पीसी, टैबलेट्स और मोबाइल फोन्स शामिल है, जबकि 2017 में कुल 2.28 अरब डिवाइसेज की बिक्री हुई थी।

गार्टनर ने सोमवार को यह जानकारी दी। रिपोर्ट में कहा गया कि बात जब उस खंड की आती है, जिसमें सर्वाधिक बिक्री हुई तो स्मार्टफोन शीर्ष पर है। इसमें हाई-एंड स्मार्टफोन और एप्पल व माइक्रोसॉफ्ट विंडोज डिवाइसेज सबसे अधिक उच्च मांग को प्रोत्साहित करेगी।

गार्टनर ने कहा, साल 2021 तक बेचे जानवाले 9 फीसदी स्मार्टफोन 5जी नेटवर्क के साथ काम करने में सक्षम होंगे।

गार्टनर के शोध निदेशक रणजीत अटवाल ने एक बयान में कहा, आनेवाले समय में ज्यादातर खरीदार केवल कीमत की बजाए उपयोगिता पर भी ध्यान देंगे, और इसलिए उच्च कीमत वाली डिवाइसेज की बिक्री में तेजी आएगी।

साल 2018 में पारंपरिक पीसी की बिक्री में 5.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि नोटबुक की बिक्री में सबसे अधिक 6.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

2018 में पीसी खंड के केवल प्रीमियम अल्ट्रा मोबाइल बाजार में तेजी दर्ज की गई, बाकी के पीसी बाजार में गिरावट रही।

2018 में मोबाइल फोन की बिक्री में 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई और कुल 1.9 अरब स्मार्टफोन की बिक्री हुई।

साल 2018 में स्मार्टफोन की बिक्री में 6.2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी, जो कुल मोबाइल फोन की बिक्री का 87 फीसदी था।

गार्टनर के शोध निदेशक रॉबर्ट कोज्जा ने कहा, हमें उम्मीद है कि 2018 में एप्पल की बिक्री बाजार के औसत से ज्यादा तेज होगी, जिसमें नए मॉडल्स की लांचिंग से फोन बदलने की प्रवृत्ति में बढ़ावा का प्रमुख योगदान होगा।

कोज्जा ने कहा, हमारा अनुमान है कि साल 2021 तक 9 फीसदी स्मार्टफोन 5जी सपोर्ट के साथ बिकेंगे।

कोज्जा ने आगे कहा, कुल मिलाकर, 5जी वीडियो और स्ट्रीमिंग सेवाओं का महत्वपूर्ण चालक होगा, क्योंकि यह तेज अपलिंक के साथ ही नए एआई एप्लिकेशंस को सपोर्ट करेगा।

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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