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बिजनेस

आर्थिक सर्वेक्षण ‘व्यवहारिक’, भविष्योन्मुखी : उद्योग जगत

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नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय कारोबारी जगत ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 को ‘व्यवहारिक’ और कृषि, शिक्षा और रोजगार को मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचानने वाला बताया।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संसद के पटल पर अर्थिक सर्वेक्षण में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी), बैंकों फंसे हुए कर्जे (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां), और बैंकों का पूर्नपुंजीकरण जैसे सुधारों और मुद्दों को संबोधित किया, जो उद्योग पर्यवेक्षकों के अनुसार आनेवाले सालों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे।

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने कहा, आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बढ़ता एनपीए जैसी चिंताओं का समाधान करने और नई नौकरियां, कृषि और शिक्षा के निर्माण पर अधिक जोर देने जैसी जरूरतों को रेखांकित किया गया है। सर्वेक्षण ने पीएसयू बैंकों की खराब संपत्ति का मुद्दा उठाया गया है। जबकि दिवालिया समाधान तंत्र ने काम करना शुरू कर दिया है। बैंकों को जल्द से जल्द अतिरिक्त पूंजी प्रदान की जानी चाहिए।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, यह सर्वेक्षण आनेवाले सालों में वृद्धि के लिए सकारात्मक गति और उसके बाद तेजी से विकास के लिए नए विचार प्रदान करता है। सीआईआई इस व्यवहारिक और व्यापक दस्तावेज की सराहना करता है, जो अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों और चुनौतियों का सही तरीके से चित्रण करता है। यह सर्वेक्षण एक नए भारत के उदय के लिए दीर्घकालिक दृष्टि प्रदान करता है, जो परिवर्तनकारी होने के साथ ही सामाजिक रूप से भी समावेशी है।

उद्योग संगठन पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7-7.5 फीसदी की तेजी के अनुमान को देश के आर्थिक विकास के लिए प्रेरक व उत्साहवर्धक बताया है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अनिल खेतान ने कहा कि रोजगार, शिक्षा और कृषि के क्षेत्र पर सरकार का विशेष ध्यान है, जिससे स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि भारत की रेटिंग दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले देश के रूप में है और इसका औसत विकास अंतर्राष्ट्रीय विकास से चार प्रतिशत पॉइंट ज्यादा है, जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं से यह तीन प्रतिशत पॉइंट ज्यादा है।

खेतान ने कहा, सरकार बुनियादी संरचना तैयार करने पर भारी निवेश कर रही है। इससे लंबी अवधि में देश के विकास को गति मिलेगी। निर्माण क्षेत्र के विकास को समर्थन करने के लिए यह आवश्यक है। गर्व की बात है कि देश का लॉजिस्टिक्स उद्योग 160 अरब अमेरिकी डॉलर का है और इसमें दो करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, देश ने 2017-18 में प्रमुख संरचनात्मक सुधार देखा, जिनमें जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), दिवालिया संहिता और बैंक पुर्नपूंजीकरण प्रमुख है, जिससे आनेवाले सालों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इन सुधारों का फायदा अर्थव्यवस्था को अगले वित्त वर्ष से मिलने लगेगा और हम आशान्वित हैं कि सरकार अपनी सुधार प्रक्रिया जारी रखेगी। यह आशावाद मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग में सुधार तथा विश्व बैंक द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक में भारत की रेटिंग में सुधार से भी परिलक्षित होता है।

केपीएमजी इंडिया के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण एम. कुमार ने बताया, सर्वे ने इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया कि राज्यों के कर संग्रह में वृद्धि की समग्र दर तेजी से बढ़ रही है। सर्वेक्षण बताता है कि वास्तविक प्रगति के लिए नीतिगत सुधारों को किस तरह से लागू किया जा रहा है तथा यह बताता है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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