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बिजनेस

रेलवे को बजटीय आवंटन में सुरक्षा, सुविधा व अवसंरचना विस्तार पर होगा जोर

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)| साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा गुरुवार को पेश किए जाने वाले अंतिम पूर्ण बजट में रेलवे के लिए सुरक्षा चिंताओं के समाधान, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी और अवसंरचना में बड़ा निवेश पर जोर दिए जाने की उम्मीद है।

बजट में रेल किराए में बढ़ोतरी या नई ट्रेनों की घोषणा की उम्मीद नहीं है।

चालू वित्त वर्ष के 96 फीसदी के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में 95 फीसदी परिचालन अनुपात (ओआर) रहने की उम्मीद है।

रेलवे की वित्तीय हालत का पता उसके ओआर से तय होता है, इससे पता लगता है कि रेलवे एक रुपये की कमाई करने के लिए कितना खर्च करती है। अगर ओआर 90 फीसदी है तो इसका मतलब है कि रेलवे एक रुपये की कमाई करने के लिए 90 पैसा खर्च कर रही है।

आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक इंजनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रेलवे वाराणसी के डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) और पाटियाला के डीजल कंपोनेंट वर्क्स (डीसीडब्ल्यू) में इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण का प्रावधान किया जा सकता है।

रेलने ने सभी मार्गो का विद्युतीकरण करने का फैसला किया है और वह डीजल इंजनों को धीरे-धीरे बाहर कर रही है। इसलिए बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत है।

बजट में रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए 95,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने की उम्मीद है, जिसमें सिग्नलों का ऑटोमेशन तथा पुरानी पटरियों को बदलना भी शामिल है।

मध्य वर्ग की बजट से करों का बोझ हल्का करने की अपेक्षाएं हैं। सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों को जारी रखने की उम्मीद है।

बजट में रेलवे के लिए योजनागत आवंटन को 1.31 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.46 लाख करोड़ रुपये करने की उम्मीद है। साथ ही सकल बजटीय समर्थन (जीबीएस) करीब 65,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह 55,000 करोड़ रुपये थी।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कई बार कहा कि रेलवे को जीबीएस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए तथा अपने आंतरिक संसाधनों और बाजार से धन पैदा करना चाहिए।

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सभी 11,000 ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का प्रावधान हो सकता है, जिसमें रेलवे के सभी 8,500 स्टेशन भी शामिल होंगे।

बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस बजट में देश भर के सभी प्रमुख शहरी और उपशहरी स्टेशनों पर 3,000 एस्केलेटर और 1,000 लिफ्ट लगाने का प्रावधान भी किया जा सकता है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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